फाइलेरिया रोग से बचाव के लिए विभाग चला रहा है अभियान

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। फाइलेरिया घातक बीमारी है। जिसे हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है। यह साइलेंट रहते हुए मानव शरीर को काफी नुकसान पहुंचाता है। इस बीमारी की जानकारी समय पर मरीजों को नहीं हो पाती है। इसलिए बचाव और सजगता से ही फाइलेरिया के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। उक्त बातें वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा. आरपी मंडल ने कही। उन्होंने बताया कि जिले में अभी 4000 हजार के करीब इस रोग से प्रभावित मरीज है। जिले में लोगों तक सही जानकारी पहुंचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। क्षेत्र की आशा और जिला मलेरिया विभाग के कर्मियों के माध्यम से पंचायत स्तर पर प्रचार अभियान चलाया जा रहा है। लोगों को रोग के लक्षण और बचाव संबंधी जानकारी दी जा रही है। रोगियों के बीच फाइलेरिया सुरक्षा किट का भी वितरण किया गया है। परिवेश को साफ रखने और संबंधित अंग की सफाई करने के बारे में जानकारी दी जा रही है।

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मरीजों को बना देता है विकलांग डा. आरपी मंडल ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी से संबंधित स्पष्ट कोई लक्षण नहीं होता है। बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्याएं हो जाती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और भी कई अन्य तरह से फाइलेरिया के लक्षण देखने व सुनने को मिलते हैं। इस बीमारी में सबसे पहले हाथ और पांव दोनों में हाथी के पांव जैसी सूजन आ जाती है। फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है। कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते हैं। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। पांच वर्षों तक साल में सिर्फ एक बार खानी पड़ती है दवा बीमारी बढ़ने के साथ-साथ शारीरिक अपंगता बढ़ती चली जाती है। इसी कारण इसे निग्लेक्टेड ट्रापिकल डिजीज की श्रेणी में शामिल किया गया है। दिव्यांगता बढ़ने के साथ ही उक्त व्यक्ति कामकाज में पूरी तरह से अक्षम हो जाता है। नौकरी पेशा या व्यवसाय से जुड़े व्यक्ति के अपंग होने की स्थिति में परिवार पर इसका बुरा असर पड़ता है। लगातार पांच वर्षो तक वर्ष में एक बार दवा का सेवन करने मात्र से बीमार व्यक्ति इस बीमारी से सुरक्षित रह सकता है। दवा खा चुके व्यक्तियों में अगर फाइलेरिया के माइक्रो फाइलेटी होते हैं तो वह निष्क्रिय हो जाता हैं। किसी अन्य के संक्रमित होने की आशंका नहीं रह जाती है। फाइलेरिया से बचाव को लेकर सतर्कता जरूरी - अपने घर के आसपास व अंदर सफाई का ख्याल रखें - मच्छर के काटने से फैलता है फाइलेरिया, इसलिए आसपास कहीं भी पानी का जमाव नहीं होने दें - समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करते रहना चाहिए - सोते समय हाथ और पैर सहित अन्य खुले भाग पर सरसों या नीम का तेल लगाएं - हाथ या पैर में कहीं चोट लगी हो या घाव हो तो उसकी नियमित रूप से करें सफाई

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