कैलाश धुंआ-धुंआ है.. की गूंज के बीच जय महाकाल का लगता रहा घोष

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। महाकाल यानि शिव की भक्ति का मास सावन की दूसरी सोमवारी में भक्ति का रंग परवान पर रहा। इस बार शिव मंदिरों में कैलाश धुंआ-धुंआ है.. शिव भक्ति के गीत का क्रेज भी चरम पर रहा। अधिकांश जगहों पर अन्य भक्ति गीतों के साथ यह गीत खूब बजता रहा।

इस गाने की गूंज के बीच कहीं जय महाकाल, कहीं हर-हर महादेव तो अन्य जगहों पर भगवान के जयकारे लग रहे थे। मंदिरों का घंटा अल सुबह से बजना शुरु हुआ और संध्या आरती के साथ ही शांत हुआ। शहर के पोलिटेकनिक शिव मंदिर, मैथिल टोला स्थित बाबा उग्रनाथ महादेव मंदिर, हरदा स्थित शिव मंदिर, शिव पुरी शिव मंदिर के साथ-साथ लाइन बाजार, खुश्कीबाग, गुलाबबाग, रजनी चौक, जनता चौक, मधुबनी, सिपाही टोला, फारबिसगंज मोड़ स्थित मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भी दिनभर शिवभक्तों का तांता लगा रहा। कांवरिया के रुप में जलाभिषेक का बढ़ रहा ट्रेंड कोरोना के कारण दो साल तक सावन का रंग भी फीका रहा था। उस अनुरुप इस बार इसका रंग और गहरा दिखने लगा है। कांवरिया के रुप में शिव मंदिरों में गंगा से जल भरकर जलाभिषेक का ट्रेंड भी अब बढ़ रहा है। पूर्णिया स्थित बाबा धीमेश्वर मंदिर, बनमनखी में यह परंपरा बर्षों से कायम है। इस मंदिर का रुप सावन के हर सोमवार के साथ शिवरात्रि में भी देखने लायक होता है। पूर्णिया जिले के लिए यह मिनी बाबाधाम की हैसियत रखता है। इसके अलावा भी कुछ अंचलों के मंदिरों में वहां के लोग गंगा से जल लाकर जलाभिषेक करते हैं। धमदाहा प्रखंड के चिकनी-डुमरिया पंचायत स्थित सुंदर धरमपुर (चिकनी) स्थित पूर्ण कामेश्वर नीलकंठ महादेव मंदिर में भी सावन की दूसरी सोमवारी को भी काफी संख्या में लोगों ने महादेवपुर घाट, भागलपुर से जलभर कर बाबा का जलाभिषेक किया। इस मंदिर में भी दिनभर शिवभक्तों का आना-जाना जारी रहा। मंदिर कमेटी शिवभक्तों को पूजा अर्चना में कोई कष्ट न हो, इसके लिए सजग रही। वैसे पूरा गांव शिवभक्तों के साथ अतिथि देवो भव के भाव के साथ खड़ा रहता है। लोग मानते हैं कि यह मंदिर उनके लिए एक बड़ा धरोहर है।

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