भगवान शिव की पूजा से दूर होते हैं सारे कष्ट : आचार्य

संवाद सूत्र, करजाईन बाजार (सुपौल) : दरिद्रता और रोग दुख तथा शत्रु जनित पीड़ा यह चार प्रकार के कष्ट तभी तक रहते हैं जब तक मनुष्य भगवान शिव का पूजन नहीं करता। भगवान शिव की पूजा होते ही सारे दुख विलीन हो जाते हैं और समस्त सुखों की प्राप्ति हो जाती है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक नित्य क्रिया से निवृत्त होकर गुरु तथा शिव का स्मरण करके तीर्थों का चितन एवं भगवान विष्णु का ध्यान करें। तत्पश्चात संकल्प इत्यादि लेकर विधिवत षोडशोपचार विधि के द्वारा आराधना करें साथ ही स्तोत्र पाठ पूर्वक शंकरजी का विधि विधान से सहस्त्र नामों के द्वारा ध्यान करें। तत्पश्चात मन को शुद्ध करके पूजा गृह अथवा किसी मंदिर में प्रवेश करें। वहां पूजन सामग्री एकत्र कर सुंदर आसन पर बैठे। पहले संध्या वंदन न्यास आदि करके क्रमश: महादेव का पूजन आरंभ करें। साथ ही आचमन इत्यादि से निवृत्त होकर शिव की पूजा से पहले गणेश अंबिका पूजन, वीरभद्र पूजन, कार्तिकेय पूजन, कीर्ति मुख, कुबेर, नंदेश्वर तथा सर्प का विधिवत पूजन करना चाहिए। शिव पूजन विधि एवं उससे होने वाले फल के महत्व पर चर्चा करते हुए त्रिलोकधाम गोसपुर निवासी आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि प्राणायाम इत्यादि करके जिसमें कुंभक करते समय त्रिनेत्रधारी शिव का इस प्रकार ध्यान करें कि मन में यह भावना रहे कि मुझे भी इनके समान ही रूप प्राप्त हो जाए। इस प्रकार शिव का ही शरीर धारण करके उन परमेश्वर की पूजा करें। तत्पश्चात दूध, दही, घृत, शहद, गन्ने के रस पंचामृत, गंधोदक, भांग रस आदि से स्नान कराकर समस्त अभीष्ट के दाता महादेवजी का प्रणब के उच्चारण पूर्वक भक्ति भाव से पवित्र द्रव्यों के द्वारा अभिषेक करें। एवं उनके ऊपर अपामार्ग, चमेली, चंपा, गुलाब, श्वेत कनेर, कमल और उत्पल शमी पत्र, फूल, तुलसी मंजरी, धतूर फल-फूल, आक फूल-फल आदि भांति-भांति के एवं चंदन भस्म आदि चढ़ाकर पूजा करें। शिव के ऊपर जल की धारा गिरती रहे इसकी भी व्यवस्था करें। धूप, दीप, नैवेद्य, आरती द्वारा पूजा करके स्तोत्र द्वारा तथा अन्य प्रकार के मंत्रों द्वारा उन्हें आराधना एवं यथोक्त विधि से पूजा करके और अन्य नाना प्रकार के मंत्रों द्वारा नमस्कार करें। फिर अ‌र्घ्य प्रदान कर पुष्पांजलि एवं साष्टांग प्रणाम करें। फिर पुष्प लेकर दोनों हाथ जोड़कर मंत्रों के द्वारा सर्वेश्वर भगवान शिव की प्रार्थना करें। इस प्रकार से जो शिव भक्ति परायण हो प्रतिदिन पूजन करता है। उसे पग-पग पर सब प्रकार की सिद्धि प्राप्ति होती है तथा साधक उपासक का परम कल्याण होता है।


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