चार दिनों में 3351 मीट्रिक टन सीएमआर देने की चुनौती

- सहकारिता पदाधिकारी ने मुकदमा दर्ज कराने का दिया अल्टीमेटम

- सभी प्रखंड सहकारिता पदाधिकारियों को भी दी गई है सख्त हिदायत
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- 50308.068 एमटी सीएमआर पहुंच चुका है एसएफसी गोदाम
- 3351.11 एमटी सीएमआर रह गया है शेष
- 30 जून तक 53659.18 एमटी सीएमआर कराना था जमा
- 15 जुलाई तक मिला था प्रथम अवधि विस्तार
- 31 जुलाई तक मिला दूसरा और आखिरी अवधि विस्तार
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संवाद सहयोगी, जमुई : धान अधिप्राप्ति के पश्चात पैक्स और व्यापार मंडल से सीएमआर जमा कराना बड़ी चुनौती है। राज्य के कई हिस्सों में तो केस दर्ज कराने की नौबत आती रही है। वैसे जमुई जिले में कभी मुकदमा की नौबत नहीं आई है, लेकिन इस बार परिस्थितियां थोड़ी भिन्न दिख रही है। सीएमआर जमा कराने की आखिरी तारीख की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।
द्वितीय अवधि विस्तार के बाद अब एसएफसी के गोदाम में सीएमआर लेने की अंतिम तिथि 31 जुलाई में चार दिन शेष रह गया है। उक्त अवधि में संबंधित पैक्स, व्यापार मंडल तथा राइस मिलों के समक्ष 3351 एमटी अर्थात 115 लाट से अधिक चावल देने की चुनौती है। ऐसे में जिला सहकारिता पदाधिकारी ने संबंधित पैक्स, व्यापार मंडल तथा राइस मिल संचालकों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है और सभी को अल्टीमेटम दे दिया है। सहकारिता पदाधिकारी ने जारी पत्र के माध्यम से स्पष्ट कहा है कि 31 जुलाई तक सीएमआर जमा नहीं हुआ तो संबंधित समितियों, व्यापार मंडलों तथा राइस मिलों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस वर्ष धान अधिप्राप्ति के मुताबिक 53659.18 मीट्रिक टन सीएमआर जमा होना था। 26 जुलाई तक 50308.068 एमटी सीएमआर जमा हो चुके हैं। 3351.11 एमटी आना शेष रह गया है। इसके लिए सभी प्रखंड सहकारिता पदाधिकारियों को भी सख्त हिदायत दी गई है।
------ 80 हजार एमटी धान की हुई थी अधिप्राप्ति
कुल 144 पैक्स तथा नौ व्यापार मंडल ने 80 हजार एमटी धान अधिप्राप्ति के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया था। पूर्व में यह लक्ष्य 96 हजार मीट्रिक टन का था, लेकिन बाद में इसमें 16 हजार एमटी की कटौती हो गई थी। लिहाजा लक्ष्य घटकर 80000 एमटी हो गया था।

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