बर्बाद हो रहा धान, आदेश की प्रतीक्षा में हैं अधिकारी

संस, सहरसा : बारिश नहीं होने के कारण धान की रोपनी ठप पड़ गई है। विगत तीन-चार दिनों में जो बारिश हुई बेशक उसकी वजह से जमीन तर हुई है। किंतु, इस बारिश के भरोसे धान की रोपनी संभव नहीं है। जिन किसानों ने पंपसेट के माध्यम से पटवन कर धान की रोपनी की है। खेत में भी बुआई की गई बिचड़ा भी अब सूख रहा है। डीजल अनुदान के लिए कार्रवाई प्रारंभ नहीं होने से किसान दोबारा-तिबारा पंपसेट से पटवन की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। किसान डीजल की सुविधा के लिए सरकार पर टकटकी लगाए हुए हैं। सरकार ने कैबिनेट में सुखाड़ से निपटने के लिए डीजल अनुदान का निर्णय तो लिया, परंतु अबतक उसके लिए जिला को पत्र नहीं भेजा गया है। इस आदेश के इंतजार में जिले के किसान दर-दर भटक रहे हैं। देर होने से खेती को बचाना कठिन हो गया है।


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ढाई सौ रुपये प्रति घंटा के हिसाब से पंपसेट से हो रही खेतों की सिचाई
जिले में नहरों से अधिकांश इलाके में पानी नहीं पहुंच रहा है। राजकीय नलकूपों की स्थिति भी कहीं ठीक नहीं है। ऐसे में पंपसेट की खेतों की सिचाई ही किसानों के सामने एकमात्र विकल्प हैं। यह इतना महंगा है जिससे पटवन कराकर धान रोपनी की हिम्मत किसान नहीं जुटा पा रहे हैं। ऐसे में जिले किसानों ने महाजनों से कर्ज लेकर खेती किया, उनकी समस्या और गहरा रही है। बारिश नहीं होने के कारण उन्हें धान के रोप किए गए बिचड़ा को बचाने के लिए सिचाई करना जरूरी है। सिचाई करने और नहीं करने दोनों स्थिति में किसानों का संकट बढ़ता जा रहा है। दूसरी ओर कृषि विभाग विभागीय पत्र नहीं मिलने के कारण डीजल अनुदान के लिए न तो किसानों से आवेदन प्राप्त कर रहा है और न ही इसके लिए कोई ठोस भरोसा देने की स्थिति में है। बारिश के अभाव में 72 हजार हेक्टेयर आच्छादन लक्ष्य के विरूद्ध अबतक मात्र 30 फीसद उपलब्धि हासिल हुआ है। जिले में खरीफ की फसल पर गहरा संकट मंडरा रहा है।
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कोट
सरकार ने डीजल अनुदान का निर्णय तो लिया है, परंतु उसके लिए अबतक विभागीय पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। आदेश प्राप्त होते ही कार्रवाई प्रारंभ कर दी जाएगी।
ज्ञानचंद्र शर्मा, जिला कृषि पदाधिकारी, सहरसा।

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