फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे हैं दर्जनों शिक्षक

जासं, सहरसा : जिले के विभिन्न विद्यालय में फर्जी प्रमाण पत्र पर तीन दर्जन से अधिक शिक्षक अब भी बहाल हैं। शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद भी शिक्षकों की सेवा समाप्त नहीं की गई। जबकि सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि फर्जी प्रमाण पत्र पर बहाल शिक्षकों की सेवा समाप्त कर उनसे वेतन मद में ली गई राशि की वसूली की जाय। बावजूद जिले के अधिकारी इन शिक्षकों को वेतन दे रहे हैं।

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2012 में हुई थी बहाली
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वर्ष 2012 में 34 हजार 500 कोटि के शिक्षकों की नियुक्ति इस जिले में भी हुई थी। इन शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों का सत्यापन और संस्था के मान्यता के संबंध में विभाग को कार्रवाई करनी थी। विभाग के द्वारा शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के सत्यापन और संस्था के मान्यता के लिए भेजे गये पत्र के आलोक में कई शिक्षकों का प्रमाण पत्र फर्जी निकले। जबकि कई संस्था को मान्यता नहीं रहने की बात सामने आई। करीब पांच वर्ष पूर्व कई फर्जी शिक्षकों के संबंध में विभाग को जानकारी दे दी गई। बावजूद अब भी ऐसे शिक्षक विभिन्न स्कूलों में कार्यरत हैं।
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मामले को दबा रहे हैं कर्मी व अधिकारी
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बहाल शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच रिपोर्ट आने के बाद उसे विभाग के कार्यालय में दबा दिया जाता है। संचिका का जैसे ही अवलोकन शुरू होता है सेटिग-गेटिग कर कर्मी व अधिकारी इसे धूल फांकने के लिए छोड़ देते हैं और इसमें से कई शिक्षकों को वेतन का भुगतान भी कर रहे हैं।
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फर्जी शिक्षकों का मामला
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जिले के सलखुआ प्रखंड के मध्य विद्यालय कबीरपुर समेत अन्य विद्यालय में फर्जी प्रमाण पत्र रहने के बाद भी शिक्षक नियुक्त हैं। नियुक्ति के उपरांत शिक्षक के प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों का सत्यापन व संस्था के मान्यता के संबंध में जांच की गई जिसमें रिपोर्ट आया कि डा. अंबेडकर हिदी संस्कृत विद्यापीठ जोकिया बेगूसराय एवं भीमराव अंबेडकर हिदी संस्कृत विद्यापीठ से प्रमाण पत्र जारी किया गया था। सरकार के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने आदेश जारी कर कहा था कि इन संस्थाओं की मान्यता बिहार सरकार या एनसीटीई द्वारा नहीं दी गई है जिसके बाद भी ऐसे शिक्षक अब भी मजे से काम करे हैं।
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स्पष्टीकरण तक ही सीमित रहे अधिकारी
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जुलाई 2015 में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने जिले के 10 शिक्षकों को पत्र भेजकर स्पष्टीकरण पूछा था। जिसमें कहा था कि अंबेदकर हिदी विद्यापीठ जोकिया बेगूसराय की मान्यता सक्षम प्राधिकार से नहीं है। उन्होंने जारी पत्र में यह कहा था कि नियुक्ति के समय दिए गये शपथ पत्र के आलोक में सेवा समाप्त कर ली गई राशि एकमुश्त वसूल करते हुए संबंधित थाना में क्यों नहीं केस दर्ज किया जाय। इसपर तीन दिन के अंदर स्पष्टीकरण का जवाब देने को कहा गया था लेकिन सात साल बाद भी ऐसे शिक्षक अब भी कार्यरत हैं।
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विभाग से पत्राचार किया जा रहा है। निर्देश मिलने के बाद ऐसे शिक्षकों पर संबंधित थाना में केस दर्ज कराया जाएगा।
मु. नजीबुल्लाह, जिला शिक्षा पदाधिकारी, सहरसा।

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