हेपेटाइटिस रोग को लेकर विभाग लापरवाह, अस्पतालों में मरीजों को दवा व उपचार तक की सुविधा नहीं

जागरण संवाददाता, पूर्णिया: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत अबतक जिले में हेपेटाइटिस संक्रमितों का उपचार और दवा उपलब्ध नही कराया जा रहा है। 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस डे के रूप में मनाया जाता है। इसको काफी गंभीर बीमारी की श्रेणी में रखा गया है। इस संबंध में राज्य स्वास्थ्य समिति ने जिले के सिविल सर्जन और जीएमसीएच अधीक्षक को पत्र लिखकर अस्पताल दवा और उपचार की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश काफी पहले दिया लेकिन अबतक इस दिशा में किसी भी स्तर पर पहल नहीं हुई है।

हेपेटाइटिस की जांच, उपचार, परामर्श और दवा वितरण की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। विभागीय लापरवाही का आलम यह है दवा राज्य स्वास्थ्य भंडार गृह पटना से उठाव तक नहीं किया गया है। इस तरह के मरीजों को चार तरह की दवा आपूर्ति होनी है। एसटीडी ( सैक्सुअल ट्रांसमीटिडेट डिजिज) परामर्शी को इस कार्यक्रम का संचालन की जिम्मेदारी दी गई है। एनवीएचसीपी कार्यक्रम के तहत हेपेटाइटिस बी और सी से मरीजों की पोस्ट टेस्ट काउंसेलिग, वायरल लोड टेस्टिग सैंपल कलेक्शन करेंगे। हेपेटाइटिस के बारे में जानकारी जरूरी हेपेटाइटिस बी और सी वायरल रोग है। यह संक्रमण से फैलता है। संक्रमित सूई के उपयोग, संक्रमित रक्त चढ़ाने या फिर संक्रमित व्यक्ति के साथ संपर्क में आने से हो सकता है। उपचार का प्रोटोकाल है। तीन टीका दी जाती है। पहला टीका 25 से एक माह बाद दूसरा टीका और तीन माह बाद तीसरा टीका दिया जाता है। रक्त चढ़ाने में सावधानी आवश्यक है। ब्लड बैंक में ब्लड की पूरी जांच के बाद सुरक्षित घोषित किया जाता है तभी चढ़वाना चाहिए।
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इस बार का थीम मैं इंतजार नहीं कर सकता -:
विश्व हेपेटाइटिस दिवस के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने थीम का चयन किया है। इस बार का थीम मैं इंतजार नहीं कर सकता हूं। सबसे अधिक गंभीर बीमारी का नाम हेपेटाइटिस बी है। विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को हेपेटाइटिस के प्रति जागरूक करना है। हेपेटाइटिस का संक्रमण सबसे अधिक ह्रदय को प्रभावित करता है। इसके बाद लीवर सिरोसिस, लीवर कैंसर हैं।
टीका लगवाना आवश्यक -:
सिविल सर्जन डा. एसके वर्मा ने बताया कि हेपेटाइटिस जैसी संक्रामक बीमारी से बचाव आवश्यक है। अभिभावकों को सबसे पहले हेपेटाइटिस की जांच कराना चाहिए। बीमारी से संबंधित टीके नीयत समय पर लेने की जरूरत है। हेपेटाइटिस वायरस पांच प्रकार के होते हैं। जिसमें हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस-बी, हेपेटाइटिस-सी, हेपेटाइटिस-डी और हेपाटाइटिस-ई शामिल हैं। इनमें हेपेटाइटिस-बी अब तक सबसे अधिक हानिकारक एवं जानलेवा साबित हुआ है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए नवजात शिशुओं को जन्म के समय टीका देना जरूरी है। हेपेटाइटिस आटोइम्यून बीमारियों, दवाओं के अनुचित सेवन और शराब के अत्यधिक सेवन और हानिकारक विषाक्त पदार्थों की वजह से भी होता है। क्या है लक्षण -:
हेपेटाइटिस-ए वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। यह दूषित पानी या भोजन के सेवन से भी फैलता है। इसका मुख्य लक्षण उल्टी, दस्त, निम्न-श्रेणी का बुखार या लीवर एरिया में दर्द, अत्यधिक थकान, गहरे रंग का पेशाब, पीला मल, पेट में दर्द, भूख का खत्म हो जाना, वजन में अप्रत्याशित कमी, त्वचा में रूखापन, आंखों का पीला होना और गंभीर स्थिति में मुंह से खून की उल्टी आदि शामिल हैं। हैं। हेपेटाइटिस बी वायरस संक्रमित खून, वीर्य एवं शरीर के अन्य तरल पदार्थों के संपर्क में आने से होता है। हेपेटाइटिस बी, सी और डी संक्रमित रक्त और शरीर के संक्रमित द्रव्यों के कारण फैलता है। हेपेटाइटिस बी का संक्रमण सबसे ज्यादा मां से बच्चे को होता है। हेपेटाइटिस का संक्रमण खून चढ़ाने, इस्तेमाल की गई सुई का प्रयोग, दाढ़ी बनाने वाला रेजर, दूसरे के टूथब्रश का इस्तेमाल करने, असुरक्षित यौन संबंध, टैटू बनवाने और महिलाओं के कान, नाक छिदवाने से भी होता है।
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