आहर-पोखर की जमीन पर नहीं रहेंगे आवास

दावथ (रोहतास) । गांवों में पानी की किल्लत के बाद आहर पोखर की आवश्यकता नई पीढ़ी को महसूस होने लगी है। इसके लिए वे सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आहर-पोखर पर बने घरों व इंदिरा आवासों (प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना) की जानकारी हासिल कर रहे हैं। इसके अलावा लोक शिकायत निवारण केंद्रों में भी आहर-पोखर से अतिक्रमण हटाने की फरियाद कर रहे हैं। दावथ प्रखंड से जुड़े एक मामले में युवाओं द्वारा कमिश्ननर के यहां ले जाए गए एक मामले में यह बात सामने आई है कि 21 इंदिरा आवास आहर की जमीन पर बना दिए गए। जिसमें सात आवास का कोई दस्तावेज तक उपलब्ध नहीं है। कमिश्नर ने डीएम से जिले में आहर-पोखर की जमीन पर बने आवासों की सूची मांगी है। कमिश्नर ने यह भी पूछा है कि आखिर ये मकान किसके आदेश से तथा किस नियम के तहत बनाए गए हैं।


दावथ प्रखंड के हथडीहा गांव के युवकों ने आहर में बने इंदिरा आवास ( प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास) को हटाने के लिए अनुमंडलीय लोक शिकायत केंद्र से लेकर जिला लोक शिकायत केंद्र तक का दरवाजा खटखटाया। उचित निर्णय पारित नहीं होने पर वे पटना प्रमंडल के आयुक्त के यहां द्वितीय अपील तक में गए। आयुक्त द्वारा इस संबंध में डीएम से आवास बनाने के लिए उपलब्ध कराई गई भूमि से संबंधित आवश्यक दस्तावेज की मांग की। डीएम धर्मेंद्र कुमार द्वारा दी गई जानकारी में यह बात सामने आई कि प्रखंड कार्यालय के पास 21 आवासों में से सात के दस्तावेज उपलब्ध ही नहीं हैं। आहर-पोखर को आवास बंदोबस्त के लिए भी कोई दस्तावेज नहीं दिया गया है। कमिश्नर ने इसे गंभीरता से लेते हुए जिले में आहर-पोखर पर बने आवासों की संख्या और उक्त भूमि को किस नियम के तहत बंदोबस्त किया गया है इसकी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहा है। बंदोबस्त करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने तथा संबंधित बंदोबस्ती रद करने की भी बात कही गई है।
जिले में जलस्त्रोतों को कब्जा कर बने हैं 14 सौ से अधिक मकान :
जिले के 19 प्रखंडों में एक हजार से अधिक आवास नियम के विरुद्ध बनाए गए हैं। इसमें कई को ताल-पोखर की जमीन आवास बनाने के लिए बंदोबस्त भी कर दी गई है। जिले में 15 हजार 680 जल निकाय हैं जिसमें स्थाई और अस्थाई मिलाकर कुल 8622 अतिक्रमित हैं। इसमें स्थाई अतिक्रमण की संख्या 1442 और अस्थाई अतिक्रमण की संख्या 7180 हैं।
कार्रवाई के इंतजार में पांच सौ मामले :
जिले के विभिन्न लोक शिकायत निवारण केंद्रों तथा अपीलीय प्राधिकार के पास पांच सौ से अधिक मामले जल निकायों को अतिक्रमित कर मकान बनाने से संबंधित हैं। कुछ मामलों में निर्णय आने के बाद भी प्रशासन अतिक्रमण हटाने से संबंधित कार्रवाई नहीं कर रहा है। अपर समाहर्ता राजस्व चंद्रशेखर प्रसाद का कहना है कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग लगातार मानेटरिग कर रहा है। जल्द ही अतिक्रमण हटवा जलस्त्रोतों को पुराने स्वरूप में लाया जाएगा।

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