बूंदाबांदी के साथ बादलों की मुस्कुराहट से बंधी किसानों में वर्षा की उम्मीद

शिवहर। सावन का महीना बीत रहा है। इलाका भीषण गर्मी की चपेट में है। वर्षा के अभाव में रोपनी बाधित है। हालत यह हैं कि, जैसे-तैसे लगभग 13 हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी हो सकी है। अब भी 12 हजार हेक्टेयर खेत खाली है और किसान वर्षा का इंतजार कर रहे है। वर्षा के अभाव में एक ओर रोपनी बाधित है तो दूसरी ओर रोपे गए धान की फसल भी बर्बाद होती दिख रही है। सिचाई के अभाव के बीच अब यूरिया की किल्लत किसानों के जख्मों को कुरेद रही है। इन सबके बीच बुधवार को लंबे समय बाद बादलों की मुस्कुराहट से किसानों में एकबार फिर वर्षा की उम्मीद जगी है। पिछले 24 घंटे के भीतर जिले में 4.28 मिमी वर्षा हुई है। बुधवार को पूरे दिन आसमान में बादल छाए रहे। बीच-बीच में हल्की बूंदाबांदी होती रही। किसान मनोज सिंह ने बताया कि, धान की रोपनी के लिए अब मात्र चार दिन शेष बचे है। संपन्न किसान निजी पंपसेट से पटवन करा धान की रोपनी करा रहे है। लेकिन, छोटे किसान अब भी आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे है। चार दिन में वर्षा नहीं हुई तो काफी देर हो जाएगा। पिपराही के किसान रामू गिरि बताते हैं कि, वर्षा के अभाव में बिचड़ा सूख रहा है। जून में रोपनी किए गए धान के पौधे भी अब पानी और यूरिया मांग रहे है। न वर्षा हो रही है और नहीं यूरिया मिल रहा है। अजय कुमार बताते हैं कि, इलाका सूखे की गिरफ्त में है। इस बार धान से लगी उम्मीदों को मौसम की नजर लग गई है। बताते चलें कि, जिले में 25 हजार हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य तय किया गया है। इधर, सूखे की संभावना के बीच कृषि विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत धान की खेती की भरपाई के लिए वैकल्पिक खेती की तैयारी की जा रही है। जिला कृषि विभाग राज्य मुख्यालय के निर्देश के बाद आगे की पहल शुरू करेगा। आवंटन में कटौती, यूरिया की किल्लत ::::


खरीफ के इस मौसम में जिले में यूरिया की किल्लत है। इलाके के किसान काला बाजार से यूरिया खरीद रहे है। किसान यूरिया के लिए चंपारण, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर का रूख कर रहे है। जिला कृषि पदाधिकारी कमलेश प्रसाद ने बताया कि, जिले में इन दिनों यूरिया की किल्लत है। बताया कि, जिले में 3618 टन यूरिया का कोटा तय है। इसके विरूद्ध महज 1800 टन यूरिया की ही आपूर्ति की गई है। जिसे खुदरा विक्रेताओं के माध्यम से किसानों को उपलब्ध कराया गया। बताया कि, विभाग को यूरिया की शेष खेप पहुंचाने के लिए लिखा गया है। बताते चलें कि, जिले के लगभग 63 हजार किसानों ने 31 हजार हेक्टेयर में खरीफ फसल की खेती की हैं। इसमें 25 हजार हेक्टेयर में धान व शेष में मक्का, अरहर, सूरजमुखी व सब्जी आदि की खेती की गई है।

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