पक्का भवन रहने के बाद भी फूस की झोपड़ी में चलता आंगनबाड़ी केंद्र

संवाद सूत्र, सरायगढ़ (सुपौल) : बच्चों को कुपोषण मुक्त करने तथा उसे स्कूल पूर्व शिक्षा देने के लिए सरकार के बाल विकास परियोजना द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केंद्र कई समस्याओं से जूझ रहा है। अधिकांश केंद्रों को अपनी भूमि और भवन नहीं है। भवन नहीं रहने के कारण आंगनबाड़ी सेविका लोगों के दालान-दालान भटकती रहती है। केंद्र चलाने के लिए भाड़े का घर लेना होता है लेकिन उसमें बार-बार बदलाव होता रहता है। कुछ घर मालिक बच्चों की हरकत से केंद्र चलाने पर रोक लगा देते हैं तो कुछ भाड़े का भुगतान नहीं होने के कारण। यह कहानी लंबे समय से चली आ रही है और उसका बच्चों के शारीरिक और शैक्षणिक विकास पर असर पड़ता है। इन सबके बीच कई सेविका अपने घर पर केंद्र संचालित कर भाड़े का लाभ ले रही है। कुछ सेविका पक्का भवन रहने के बाद भी अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए केंद्र का संचालन फूस की झोपड़ी में करती है।


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कई हैं उदाहरण पिपरा खुर्द पंचायत अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 50 इसका उदाहरण है। केंद्र के पक्का भवन का निर्माण पंचम वित्त की राशि से कई वर्ष पूर्व किया गया लेकिन सेविका फूस के घर में ही बच्चों को पढ़ा रही है। जिस छप्पर के नीचे सेविका बच्चों को बिठाकर पढ़ाती है वह उनका अपना घर और खेत है। स्थानीय कुछ लोगों के अनुसार सेविका अपने घर का भाड़ा परियोजना से लेती है और उसी के चलते केंद्र के पक्का भवन में बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहती है। केंद्र के बच्चे जाड़े, धूप और बरसात तीनों में संघर्ष करते हुए वहां रहते हैं और परियोजना के पदाधिकारी सब कुछ देख कर अंजान बने हुए हैं।
लौकहा पंचायत अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 10 के लिए भवन बनकर लंबे समय से तैयार है लेकिन केंद्र की सेविका उसमें पढ़ाने नहीं जा रही हैं। वह अपने घर पर केंद्र संचालित कर रही हैं जिसको जानकर पर्यवेक्षिका और सीडीपीओ कोई कार्यवाही नहीं कर रहे। शाहपुर पृथ्वीपट्टी पंचायत अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 21 का भवन लंबे समय से बना हुआ है लेकिन सेविका अपने दरवाजे पर केंद्र चला रही है। स्थानीय लोगों द्वारा बार-बार शिकायत के बाद भी विभागीय पदाधिकारी कार्रवाई से कतरा रहे हैं। केंद्र संख्या 32 दाहुपट्टी का भवन बना हुआ है और विभागीय पत्र के बावजूद सेविका वहां जाना नहीं चाहती। वह अपने खेत में घर बनाकर उसमें केंद्र संचालन करती है और फिर विभागीय कार्यालय से पैसा लेती है। यह गजब कहानी है कि अपने ही घर पर केंद्र संचालित कर कई सेविका परियोजना के सारे नियम को ठेंगा दिखाते हुए भाड़े का पैसा ले रही है।
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30 केंद्र के पास ही है अपना भवन
सरायगढ़ भपटियाही परियोजना में 145 आंगनबाड़ी केंद्र हैं उसमें से लगभग 30 केंद्र के पास भवन है। कुछ भवन पंचम वित की राशि से बनाए गए हैं तो कुछ मनरेगा की राशि से। मनरेगा की राशि से बन रहा आंगनबाड़ी केंद्र 115 का भवन अधूरा पड़ा है। जहां भवन बनकर तैयार है वहां केंद्र का संचालन नहीं करना बड़ा सवाल है। सवाल यह भी है कि जब परियोजना में कहीं से भी सेविका को अपने घर पर केंद्र चलाने की अनुमति नहीं है तो आखिरकार अधिकांश सेविका अपने-अपने घर पर केंद्र का संचालन कैसे कर रही है। सवाल यह भी है कि आंगनबाड़ी केंद्र का भवन बेकार पड़ा है और सेविका अपने-अपने घर पर केंद्र का संचालन कर रही हैं।
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कोट
पक्का भवन रहने के बाद भी कुछ सेविका अपने दरवाजे पर केंद्र का संचालन कर रही है। बार बार चेतावनी के बाद भी वैसी सेविका पक्का भवन में केंद्र संचालन करने के लिए नहीं जा रही है। परियोजना में सेविका को अपने दरवाजे पर केंद्र संचालित करने का अधिकार नहीं दिया गया है। संबंधित सेविका पर कार्रवाई होगी।
रंजना कुमारी, पर्यवेक्षिका
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भाड़े का घर नहीं मिलता है इसलिए सेविका अपने आंगन और दरवाजे पर केंद्र चलाती है। वैसे पक्का भवन रहने के बावजूद अपने घर पर केंद्र चलाने वाली सेविका के खिलाफ कार्रवाई के लिए विभाग को लिखा जाएगा।
सुनीता कुमारी, पर्यवेक्षिका, दक्षिणी भाग, सरायगढ़ भपटियाही

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