गर्भवती महिलाओं के लिए एनीमिया खतरनाक, बरतें सावधानी

संवाद सहयोगी, लखीसराय। गर्भवती महिलाओं के लिए एनीमिया खतरनाक है। इसका असर होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इस पर ध्यान नहीं देने के कारण एनीमिया गर्भवती महिलाओं की प्रमुख समस्या बनती जा रही है।

सिविल सर्जन डा. देवेन्द्र कुमार चौधरी ने बताया की गर्भवती महिला की हर माह प्रसव पूर्व जांच आवश्यक है ताकि एनीमिया का पता लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि एनीमिया के हल्के प्रभाव को पौष्टिक आहार से पूरा किया जा सकता है। जबकि गंभीर एनीमिया के लिए दवाइयों का इस्तेमाल होता है। गंभीर एनीमिया का तुरंत उपचार जरूरी है अन्यथा जोखिम बहुत अधिक होता है। गंभीर एनीमिया थैलीसिमिया, आंत के संक्रमण व दूसरी अन्य बीमारियों की भी वजह बनता है। सीएस ने कहा कि पालक, हरी सब्जी, मछली, दूध व अंडा आदि का नियमित सेवन से शरीर में आयरन की मात्रा को बढ़ाता है। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था में बहुत अधिक चाय व काफी के सेवन से बचना चाहिए। गर्भवती महिलाओं के किये गुड़ और चना का सेवन काफी लाभप्रद होता है। इसके साथ चुकंदर, सूखे मेवे व मौसमी फल जरूर लें। ---

एनीमिया के दुष्प्रभाव को जानना जरूरी
खून में आयरन (लौह तत्व) की कमी एनीमिया कहलाता है। रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो जाने पर शरीर में आक्सीजन का प्रवाह बाधित होता है। गर्भवती महिलाओं में एनीमिया, प्रसव के दौरान या इसके बाद कई जटिलताओं व जोखिम को जन्म देता है। जैसे समय से पूर्व प्रसव का दर्द, जन्म के समय शिशु का वजन कम होना, कमजोर शिशु, मृत शिशु का जन्म व विकलांगता तथा नवजात की मृत्यु जैसे खतरे बढ़ जाते हैं। इसके साथ ही गर्भावस्था में संक्रमण का भी खतरा रहता है। परजीवी संक्रमण जैसे मलेरिया, डेंगू या हुक वर्म आदि के कारण भी शरीर में खून की भारी कमी हो जाती है। इसलिए बीमारियों से बचाव करना भी गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत जरूरी है।

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