आजादी के बाद पहली बार बागमती नहीं रोकेगी सफर की रफ्तार

शिवहर । शिवहर-सीतामढ़ी एनएच का निर्माण पूरा हो गया है। इसके साथ ही इलाके की आजादी के बाद से अब तक की सबसे बड़ी मांग पूरी हो गई है। वहीं दशकों के सपने सच में साकार हो गए है। आजादी के बाद यह पहला मौका है जब बाढ़-बरसात के दौरान बागमती और मनुषमारा नदी लोगों की सफर की रफ्तार नहीं रोक पाएगी। कई बाधाओं और झंझावात को पार करते हुए 14 साल बाद इस हाईवे के निर्माण होने से पड़ोसी जिलों की दूरियां कम हो गई है। वहीं, 20 लाख की आबादी की राह आसान हो गई है। इस हाईवे के निर्माण से शिवहर से सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर और पटना तक का सीधा संपर्क हो गया है। वहीं शिवहर से पूर्वी चंपारण, गोपालगंज और पश्चिमी चंपारण के साथ ही उत्तर प्रदेश तक की राह आसान हो गई है। पूर्वी चंपारण के चकिया से शिवहर होते हुए सीतामढ़ी तक एनएच 104 का निर्माण हो गया है। इस पथ में सैकड़ों साल पुराने ब्रिटिशकालीन बुनियादगंज पुल की जगह नया पुल गया गया है। इसके अलावा देमा, बागमती नदी तटबंध के बीच कोला पुल समेत दो बड़े और दो छोटे पुल, महनद पुल, रसीदपुर पुल और लक्ष्मीपुर पुल का निर्माण करा लिया गया है। सड़क के किनारे नालों का निर्माण हो चुका है। अब सड़क के किनारे स्टील बैरिकेडिग का काम अंतिम चरण में है। कोलापुल के पास 200 मीटर में कालीकरण शेष रह गया है। हालांकि, यहां काम प्रगति पर है। बताते चलें कि, शिवहर जिला आजादी के वक्त से ही बाढ़-बरसात के दौरान टापू में तब्दील हो जाता था। साल के छह महीने तक यह जिला पड़ोसी जिलों से कटा रहता था। इसकी सबसे बड़ी परेशानी डुब्बाघाट थी। सुशासन पार्ट वन की सरकार ने यहां आरसीसी पुल का निर्माण कराकर लोगों की समस्या दूर कर दी। बावजूद इसके कोला पुल और बुनियादगंज पुल ध्वस्त रहने के कारण हर साल आवागमन बाधित रहता था। पिछले साल बाढ़ के दौरान बुनियादगंज में डायवर्सन 11 बार बह गया था। लेकिन, इस बार तमाम पुलों का निर्माण करा लिया गया है। चकिया से शिवहर और शिवहर से सीतामढ़ी तक हाईवे का निर्माण हो जाने से लोगों के सफर की राह आसान हो गई है। हालांकि, सीतामढ़ी से भिट्ठामोड़, मधुबनी के जयनगर व नरहिया तक परियोजना अभी अधूरी है। उधर, इस हाईवे के पमरा से पमरा-लगमा बाईपास का भी निर्माण कार्य पूरा हो गया है। 14 साल का वनवास हुआ खत्म :::


शिवहर : शिवहर -सीतामढ़ी एनएच 104 के निर्माण में 14 साल लग गए। एक तरह से यह शिवहर वासियों के लिए 14 साल का वनवास रहा। पूर्वी चंपारण के चकिया से शुरू शिवहर, सीतामढ़ी, सुरसंड, जयनगर, मधुबनी और नरहिया तक को जोड़ने वाली 219.945 किमी लंबी इस परियोजना का बजट महज 600 करोड़ रुपये था जो बढ़कर दो हजार करोड़ के पार कर गया। 14 साल पूर्व केंद्र की यूपीए-वन सरकार ने इस हाईवे को मंजूरी दी थी। एकरारनामा के अनुसार साल 2018 तक ही इस हाईवे का निर्माण हो जाना था। पूर्वी चंपारण जिले के चकिया से 0 किमी से 40 किमी तक में 26 किमी तक पूर्वी चंपारण तथा 26 किमी से 40 किमी तक शिवहर जिला में पड़ता है। जेके इंफ्रा प्रोजेक्ट नामक निर्माण कंपनी ने 108.50 करोड़ की लागत से 40 किमी लंबी सड़क बनाने का एकरारनामा किया था। 23 अगस्त 2014 को कार्य शुरू किया गया था। 19 जुलाई 2018 को कार्य समाप्त होना था। इस हाईवे के 27 वें किमी से शिवहर जीरोमाइल तक कुल 13 किमी तथा शिवहर जीरोमाइल 40 किमी से धनकौल 48.4 किमी समेत कुल 21.4 किमी का निर्माण जेकेएम इंफ्रा लिमिटेड को मिला। चार मई 2016 को शुरू हुआ था। तीन मई 2018 को काम समाप्त करना था। लेकिन, कोरोना काल, बाढ़, निर्माण कंपनी के काम छोड़ने और अन्य कारणों के चलते बार-बार निर्माण रुकता रहा। हालांकि, अब निर्माण पूरा हो गया है।

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