मां कात्यायनी स्थान आज तक आध्यात्मिक पर्यटन स्थल के रूप में नहीं हो सका विकसित

संवाद सूत्र, चौथम (खगड़िया): बागमती नदी किनारे धमारा घाट स्टेशन से कुछ दूरी पर अवस्थित प्रसिद्ध शक्ति पीठ मां कात्यायनी स्थान में दूर-दूर से श्रद्धालु आते-आते हैं। शारदीय नवरात्र में तो देश भर से साधक आते हैं और साधना करते हैं। प्रत्येक सोमवार व शुक्रवार को वैरागन के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है। इस शुक्रवार को भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां कात्यायनी मंदिर पहुंचे। मंदिर को प्रत्येक माह लाखों रुपये की आय होती है। मंदिर की देखरेख के लिए कात्यायनी न्यास समिति का गठन भी किया गया है। जिलाधिकारी उक्त न्यास समिति के अध्यक्ष हैं। लेकिन आज भी यह प्रसिद्ध शक्ति पीठ आध्यात्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में विकसित नहीं हो सका है। मां कात्यायनी मंदिर का इतिहास

मां कात्यायनी स्थान आज तक आध्यात्मिक पर्यटन स्थल के रूप में नहीं हो सका विकसित यह भी पढ़ें

वर्ष 1595 में बादशाह अकबर ने मुरार शाही को चौथम तहसील प्रदान किया था। उन्हीं के वंशज राजा मंगल सिंह व सैकड़ों पशुओं (गाय व भैंस) के मालिक सिरपत जी महाराज ने मिलकर मां कात्यायनी मंदिर की स्थापना की थी। सिरपत जी महाराज की राजा मंगल सिंह से मित्रता थी। एक किवदंती के अनुसार उन्होंने राजा को बताया कि गाय व भैंस चरने के दौरान एक निश्चित स्थान पर आकर अपने दूध का स्त्राव करती है। राजा ने उक्त स्थल की खुदाई कराया, तो मां का हाथ मिला। दोनों मित्र ने मिलकर मां की हाथ की स्थापना कर पूजा-अर्चना शुरू की। तबसे लेकर आज तक पूजा-अर्चना जारी है। उक्त स्थान पर मंदिर का निर्माण भी कराया। बाद में रोहियार पंचायत वासियों के सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया। क्या आ रही है परेशानी
संवाद सूत्र, चौथम (खगड़िया) : सुप्रसिद्ध शक्तिपीठ तक पहुंचने के लिए एक अदद सड़क तक नहीं है। वर्षों से मंदिर परिसर को सड़क मार्ग से जोड़ने की मांग की जाती रही है। लेकिन अब तक परिणाम शून्य निकला है। यहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु धमारा घाट स्टेशन पर उतरते हैं। वहां से डेढ़ किलोमीटर पूरब और दक्षिण दिशा में पैदल चलकर मां के दरबार में पहुंचते हैं। फिर किसी वाहन से बदला घाट होते हुए कच्ची सड़क से रेलवे की छोटी लाइन के परित्यक्त पुल संख्या 50 को पार कर कात्यायनी स्थान पहुंचते हैं। इसमें खतरा रहता है। श्रद्धालुओं की सुनिए.. रोहियार पंचायत के मुखिया भुजंगी यादव और सरपंच विनोद यादव कहते हैं कि अब तक यह शक्तिपीठ राजनीतिज्ञों की नजर से ओझल है। वे इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इस शक्तिपीठ को आध्यात्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की जरूरत है। युवराज शंभु कहते हैं कि अगर इस स्थल को सीधे सड़क मार्ग से जोड़ दिया जाए, तो यहां का विकास होगा। सोमवार और शुक्रवार को धमारा घाट स्टेशन पर सभी ट्रेनों का ठहराव किया जाए। ताकि श्रद्धालु आसानी से यहां पहुंच सके। युवराज शंभु ने बताया कि मां कात्यायनी स्थान के विकास से स्थानीय स्तर पर रोजी-रोजगार का भी विकास होगा।

अन्य समाचार