यहां गेवियन समेत सैकड़ों पौधे हो गए गायब

जागरण संवाददाता, खगड़िया : ग्रीन खगड़िया का नारा कागजों पर ही सिमट कर रह गया है। पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन देखरेख के अभाव में अधिकांश मर जाते हैं। कई बार बाढ़ और वर्षा के पानी में ये सूख भी जाते हैं। लेकिन पौधारोपण के बाद संरक्षण का अभाव इसके संवर्धन की राह में सबसे बड़े रोड़े साबित हो रहे हैं। जिससे ग्रीन खगड़िया का सपना साकार नहीं हो रहा है। मालूम हो कि विकास योजनाओं के नाम पर भी शहर में बड़े पैमाने पर वृक्ष काटे गए।

खैर, वर्ष 2019 में बाजार समिति परिसर में वन विभाग की ओर से 15 सौ गेवियन समेत पौधे लगाए गए थे। जबकि कृषि विभाग के परिसर में एक हजार गेवियन सहित पौधे लगाया गए थे। जिसमें अर्जुन, महोगनी, सागवान, नीम आदि के पौधे शामिल हैं। तीन माह पूर्व रहीमपुर उत्तरी, दुर्गापुर मध्य और करारी में छह सौ पौधारोपण किया गया था। जबकि शहर के अलग अलग जगहों पर स्टेशन परिसर, बस स्टैंड परिसर, अस्पताल परिसर आदि में लगभग 2500 पौधे लगाए गए। लेकिन आज 10 प्रतिशत पौधे भी खड़े नहीं मिलेंगे। पौधारोपण के बाद वन विभाग सो गई। देखरेख के अभाव में कई गेवियन समेत पौधे गायब हो गए। बाजार समिति और कृषि विभाग के परिसर से गेवियन तक लोग उखाड़कर घर ले गए। बाजार समिति में लगाए गए 15 सौ पौधों में से एक भी नहीं बचे हैं। गेवियन तक गायब हैं। जबकि पौधे के अंकुरण से वृक्ष तैयार होने तक देखरेख की जिम्मेवारी वन विभाग की है। लेकिन पौधारोपण के बाद विभाग पहरेदारी से मुंह मोड़ लेती है। इसके पैसे कहां जाते हैं पता नहीं। सामाजिक कार्यकर्ता मनीष कुमार सिंह कहते हैं- बाजार समिति में जब पौधे लगाए गए, तो लगा कि यह सूना परिसर अब हरियाली से अच्छादित होगा। परंतु, वन विभाग की उदासीनता के कारण एक भी पौधे नहीं बचे हैं। वन विभाग सिर्फ पौधारोपण करना जानती है, उसका संरक्षण करना नहीं। मुझे तो कुछ दिनों पहले खगड़िया का प्रभार मिला है। मेरा मूल पदस्थापन बेगूसराय में है। इसलिए विशेष कुछ नहीं बता सकता हूं। फिर भी पता लगाएंगे।

संजीव कुमार, प्रभारी, वनों के क्षेत्र पदाधिकारी, खगड़िया

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