जयघोष करते शिव के दुलारे चल पड़े बाबा के द्वारे

जयघोष करते शिव के दुलारे चल पड़े बाबा के द्वारे

जागरण संवाददाता, बक्सर : रविवार की दोपहर बाद प्रसिद्ध व पौराणिक रामरेखाघाट पर सिर्फ और सिर्फ केसरिया वस्त्रधारी ही नजर आ रहे थे, जो गंगा में स्नान-ध्यान किए जाने के बाद दाहिने हाथ में जल, अक्षत और द्रव्य लेकर घाट के पंडितों से संकल्पित हो रहे थे। इसके उपरांत मन में दृढ़ता की दीवार निर्मित कर शिव के दुलारे पूरी राह बोलबम की जयघोष करते हुए बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ धाम के द्वारे निकल पड़े। तकरीबन 35 किलोमीटर की इस पदयात्रा में युवाओं की टोलियां तो थी ही, उत्साहवर्धित इस धार्मिक यात्रा में किशोर, किशोरियां और वृद्ध महिलाएं भी शामिल थीं।

कहा जाता है कि आत्मविश्वास में अखंड ज्योति होती है, ...और सत्य संकल्प में ईश्वर के प्रति सबसे बड़ी निष्ठा। पुराण भी साक्षी है कि मनुष्य के इसी संकल्प के सम्मुख देव, दानव सभी पराजित हुए। घाट पर उमड़े इन सभी श्रद्धालुओं के चेहरे से भी यही उमंग का भाव परिलक्षित हो रहा था। सबों का पहनावा एक होने से अमीर-गरीब, छोटा-बड़ा का भेदभाव रहित सभी एक-दूसरे को बम कहकर पुकार रहे थे। रामरेखाघाट की तट पर बस, टेंपो व अन्य छोटी-बड़ी गाड़ियों से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं ने सबसे पहले आवश्यकतानुरूप खरीदारी पूरी की और कुछ खाया-पीया। उसके बाद यहां के उत्तरायणी गंगा की पवित्र जलधारा में पुण्य की डुबकी लगाई। आसपास के मंदिरों में दर्शन-पूजन किए और एक पात्र में गंगा जल लेकर अपनी-अपनी मनोकामनाएं पूरी करने को संकल्पित शिवालयों की ओर सावन की तीसरी सोमवारी के दिन जलाभिषेक करने को निकल पड़े। यहां बता दें कि ब्रह्मपुर स्थित बाबा ब्रह्मेश्वरनाथ के अलावा श्रद्धालु यहां से जलभरी कर इटाढ़ी प्रखंड में स्थित वीरभद्रसोखाधाम, सासाराम-कैमूर अवस्थित गुप्ताधाम समेत अन्य ग्रामीण इलाकों के शिवालयों में भी जलाभिषेक को जाते हैं।
उत्तर प्रदेश से भी काफी संख्या में पहुंचे थे श्रद्धालु
पूर्व के शाहाबाद जिला परिक्षेत्र के विभिन्न जनपदों के अलावा उत्तरप्रदेश के कई जिले से भी श्रद्धालु रामरेखाघाट से जलभरी करने को पहुंचे हुए थे। बलिया जिले के रामनाथ सिंह, गोप सिंह एवं गाजीपुर के महेंद्र पांडेय, अचल प्रजापति आदि ने कहा कि गंगा हमारे यहां भी है लेकिन, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरण रज यहां की मिट्टी में समाई हुई है। इस कारण बक्सर एक धाम है और यहां का रामेश्वरनाथ मंदिर एक सिद्ध स्थल।
गंगा ने और भी फैलाई अपनी आंचल
उफनती गंगा ने अपनी आंचल और भी फैला ली है। इस कारण भक्तों को घाट की अधिक सीढियां नहीं नापनी पड़ी। लेकिन उफनती गंगा स्नानार्थियों के लिए खतरनाक भी बनी हुई थी। हालांकि गंगा में गहरे पानी में जाने से बचाव को बैरिकेटिंग की व्यवस्था की गई थी।
भक्ति संगीत की धुन पर थिरके श्रद्धालु
राह चलते श्रद्धालु जगह-जगह डीजे पर बज रहे भक्ति संगीत की धून में झूम रहे थे। साथ ही रास्ते में बोलबम, बोलबम की जयकारा लगा रहे थे। इस दौरान उनका उमंग और उत्साह देखते ही बन रहा था। रास्ते में जहां तहां स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा चाय, शरबत, ठंडा एवं गर्म पानी का इंतजाम किया गया था।

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