बैठक में दी गई एफपीओ गठन की जानकारी



संवाद सूत्र, राघोपुर (सुपौल) : प्रखंड क्षेत्र स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के सभागार में मत्स्य उत्पादक समूह के लिए एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) बनाने के लिए शुक्रवार को बैठक का आयोजन किया गया। इसमें मत्स्यजीवी समूह लिमिटेड राघोपुर के सक्रिय सदस्यों ने भाग लिया। बैठक का मुख्य उद्देश्य मत्स्य पालक किसानों को एफपीओ बनाने की प्रक्रिया और इसके फायदे के लिए जागरूक करना था। मौके पर केंद्र के वरीय विज्ञानी सह प्रधान ई. प्रमोद कुमार चौधरी ने कहा कि एफपीओ के सदस्य की संख्या न्यूनतम चार सौ होनी चाहिए। इसमें हर एक सदस्य के द्वारा एक हजार रुपये संगठन में जमा करना है। जितनी राशि समूह में जमा होगी उतनी ही राशि सरकार के द्वारा प्रोत्साहन के रूप में संगठन को दिया जाएगा। इसे मछली पालन कार्य में लगाया जा सकता है। कई किसानों ने मछली पालन में अपनी समस्याओं को बताते हुए कहा कि हमलोगों को मछली का जीरा बंगाल से मंगाना पड़ता है। इससे लागत मूल्य बढ़ जाता है। इसके अलावा मछली का खाना एवं दवा भी बाहर के राज्यों से मंगाना पड़ता है। इससे हमलोगों को आर्थिक नुकसान सहना पड़ता है। केंद्र के विज्ञानी डा. मनोज कुमार ने कहा कि मत्स्य अहार मछली उत्पादक समूह-संगठन के माध्यम से खुद तैयार कर सकते हैं। इसके लिए कच्चे माल के रूप में अपने यहां मक्का, सरसों की खल्ली, चोकर, मूंगफली ग्रेन, राजमा टूटा हुआ, बेकार सोयाबीन, धान का भूसा आदि आसानी से उपलब्ध है। समूह को बैंक भी लोन देती है। उत्पादक समूह इसकी मशीन की व्यवस्था कर मछली का खाना आकर्षक पैकेजिग में तैयार कर मार्केटिग कर सकता है। इस समूह के किसानों को काफी लाभ होगा। जरूरत है उपभोक्ता को विश्वास में लाने के लिए अच्छे प्रोडक्ट की। अगर विज्ञानी तकनीक से मछली का पालन करेंगे तो कतला, रेहू एक केजी का निश्चित रूप से एक साल में हो जाएगा। मौके पर सूर्यनारायण मुखिया, उपेंद्र मुखिया, इंदल मुखिया, सुनील मुखिया, परमेश्वरी मुखिया, रामदेव मुखिया, सुनीता देवी, सुकुमार देवी, रंजीत मुखिया आदि उपस्थित थे।

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