बरस रहा बदरा फिर रोपनी आधा

संस, सहरसा : वर्षा होने से जिले के किसानों के चेहरे पर छाई निराशा, एकबार फिर उम्मीद में तब्दील हो गयी। किसानों के चेहरे पर अचानक खुशी आ गई। रविवार की सुबह वर्षा के बीच किसान अपने- अपने खेत की ओर भागे। गीत गुनगुनाती महिलाओं ने देर से से ही धनरोपनी प्रारंभ कर दिया है। हालांकि मानसून उतरने के बाद आद्रा नक्षत्र में अपेक्षित वर्षा नहीं होने से किसान बेहद परेशान रहे। 72 हजार हेक्टेयर लक्ष्य के विरूद्ध अबतक जिले में मात्र 40 फीसद आच्छादन हो पाया है। वर्षा नहीं होने और लगातार प्रचंड धूप के कारण रोपनी के लिए तैयार और रोपनी के बाद खेतों में लगे बिचड़ा को बचाना कठिन हो रहा था। चार दिनों से रूक- रूक कर हुई वर्षा किसानों के लिए एकबार फिर उम्मीद की किरण बन गई है।


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कम वर्षापात से प्रभावित होगा धान का उत्पादन
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इस वर्ष मानसून उतरने से पूर्व को जरूरत से ज्यादा वर्षा हुई, परंतु मानसून उतरने के बाद इसकी रफ्तार काफी कम हो गई। जून से 28 जुलाई तक 286 एमएम वर्षा हुई, जबकि इस अवधि में 549 एमएम सामान्य वर्षापात अनुमानित है। जून में 217 एमएम की जगह 195 एमएम तथा जुलाई में 322 एमएम के बदले अबतक 190 एमएमएम वर्षा हुई। जुलाई माह में वर्षा नहीं होने से धान के बिचड़ा पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा। सहरसा जिले में अगस्त के प्रथम सप्ताह तक अमूमन धनरोपनी समाप्त हो जाता है। कम वर्षपात के कारण इस वर्ष स्थिति भिन्न है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि वर्षापात की कमी का धान के उत्पादन पर स्पष्ट रूप से प्रभाव देखा जाएगा।
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पानी की कमी के कारण अबतक यूरिया के नहीं मचा हाहाकार
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जिले के आपूर्ति प्लान के अनुसार अबतक जिले को काफी कम यूरिया, डीएपी, एमओपी, एनपीके व एसएसपी प्राप्त हुआ है, परंतु कम वर्षापात के कारण यूरिया के लिए अबतक हाहाकार की स्थिति नहीं है। जिन किसानों ने पूर्व में धानरोपनी कर भी ली, सिचाई नहीं हो पाने के कारण यूरिया की अपेक्षित मांग अबतक नहीं है। सरकार ने डीजल अनुदान की घोषणा की है, परंतु इसकी प्रक्रिया पूर्ण होने के काफी देर लगेगा। ऐसे में धान को बचाया जाना बेहद कठिन होगा।

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