नूना की नई धारा में कट रहे आशियाने, दूसरे के घर रह रहे लोग

संसू, सिकटी (अररिया): सिकटी में बहने वाली नूना नदी की नई धारा जल स्तर घटने के साथ आशियाने कटने लगे है। विगत दो तीन दिनों में नदी का जल स्तर तो कम रहा लेकिन कटाव बदस्तुर जारी है। जिस कारण लोग भयवश अपने हाथों से अपने घर तोड़ने पर अमादा है। उन्हें लगता है कि अगर घर नही हटाया तो नदी इसे लील लेगी।फिर तो घर बनाना मुश्किल हो जाएगा।दो दिन पहले बुटली का धार कटान के भेंट चढ़ गया। इससे पहले मस्जिद, मजार के अलावा सूरमान, वसीम और जसीम का घर नई धारा में समा गया। अब फिर से कटाव का सिलसिला जारी है। इस बार नूना नदी की तबाही से पूरा इलाका भयभीत है। नदी का ऐसा मिजाज बिगड़ा की रातों-रात सिघिया गांव जाने वाली सड़क मस्जिद एवं मजार नदी के गर्भ में समा चुका।न ई धारा बन जाने के बाद से ही यहां के लोगों का दिन का चैन व रात की नींद गायब हो गयी है। नदी ने ऐसा कहर बरपाया है कि यहां चारों तरफ तबाही ही तबाही नजर आता है। नूना नदी की तबाही से प्रखंड का बांसवाडी, घोड़ा चौक, सिघिया गांव नक्शा से ही मिट गया है।जबकि यादव सिघिया,साहू टोला पडरिया नूना नदी के सौधे निशाने पर है। नदी में तेजी से कटाव हो रहा है।सिघिया गांव के सूरमान, बुटली, अली, हसन, नौशाद समेत पूरे गांव के लोग अपने अपने घरों को तोड़ कर उससे ईंट छड़ और दरवाजे खिड़की निकाल कर सुरक्षित स्थान पर ले जाने की कोशिश में हैं। नई धारा के किनारे बसे लोगों को इस बात का खौफ है कि पूरी वर्षाकाल सीजन में नदी इस पूरे गांव के अस्तित्व को ही मिटा देगी। जिसके कारण लोग अपने घर को तोड़कर ले जा रहे हैं। प्रतिदिन जल स्तर में उतार चढ़ाव के बीच लगातार कटाव हो रहा है। जिसके कारण फ्लड फाइटिग का कार्य भी हुआ पूरी तरह विफल हो गया। बाढ़ को रोकने के लिए हाल ही में बांस की पाइलिग कर उसमें बालू व मिट्टी का बोरी भरकर दिया गया था। लेकिन नदी उसे अपने साथ बहा कर ले गई। जल निस्सरण विभाग के अनुसार बांसवाडी, घोड़ा चौक, सिघिया गांव में जो फ्लड फाइटिग का कार्य किया गया था वह दो गांवों के विवाद के कारण पूरा नहीं हो सका। विवाद के कारण आधा अधूरा कार्य ही हो पाया था,जो नूना नदी के तेज धारा में वह गया।जबकि ग्रामीणों का कहना है कि विवाद तो नूना नदी को मूल धारा में ले जाने को लेकर था।स्थानीय पीड़ित सूरमान,वसीम,जसीम,बुटली,वसीक मोसीम आदि ने बताया कि इस साल अब तक नौ बार नूना मे बाढ़ आ चुकी है।इस कारण कई घर नदी में समा गए। वहीं नदी ने कई बार अपनी धारा को भी बदला है। जिससे आज भी सैकड़ों लोग प्रभावित हैं।जहाँ गाँव बसा था आज नदी बह रही है।मस्जिद और मजार भी नदी मे समा गए।जहां गांव की गलियों में जहां कल तक बच्चे खेलते नजर आते थे आलीशान मकान वस्ती की शोभा बढ़ाते थे, बुजुर्ग गांव की पगडंडियों पर टहलते नजर आते थे अब वहां सबकुछ बदल गया है। जीवन भर मेहनत कर बनाए हुए मकान नदी में लगातार समाहित हो रहे हैं।नूना नदी की त्रासदी से बांसवाडी, घोड़ा चौक, सिघिया की एक बड़ी आबादी प्रभावित हो गई है।किनारे पड़ने वाले घर कट रहे है तो कहीं मकान गिर रहे हैं, तो कहीं घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाने से लोगों की जिदगी नारकीय हो चली है।इस हालात में नूना नदी नई धारा के अगल बगल बसे लोग अपने हाथों हीं अपना आशियाना उजाड़ने को विवश हैं।


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