धान का विकल्प बनेगा दलहन, तिलहन और सब्जी

संसू, नवहट्टा (सहरसा) : मानसून में कम बारिश होने के कारण धान की खेती प्रभावित होते देख किसान वैकल्पिक खेती पर बल दे रहे हैं। मौसम की बेरुखी से जमीन परती रह जाने की आशंका है। किसानों का जनजीवन कम से कम प्रभावित हो इसके लिए वैकल्पिक खेती पर जोर दे रहे हैं। इसकी तैयारियां शुरू कर दी है। दलहन तिलहन और सब्जी की फसल एवं पशु चारा उपजाने का लक्ष्य है।

कृषि समन्वयक बीके मिश्रा के अनुसार धान के विकल्प के तौर पर सबसे ज्यादा खेती अरहर, मक्का और उड़द की होगी। किसान मक्का, अरहर, उड़द, तोड़िया, सरसों, मटर, भिडी, मूली और पालक भी लगा सकते हैं ।

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धान रोपनी के लिए बचा एक सप्ताह का समय
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अगस्त के प्रथम सप्ताह तक रोपनी करने का समय माना जाता है। कृषि विभाग अगस्त के प्रथम सप्ताह तक बारिश होने का इंतजार कर रहा है। एक सप्ताह बारिश नहीं होने की स्थिति में वैकल्पिक फसल लगाने के अलावा किसानों के पास कोई विकल्प नहीं बचेगा। वैकल्पिक फसल की वेरायटी 90 से 100 दिन के अंदर तैयार हो जाएगी। अगस्त से अक्टूबर के बीच वैकल्पिक फसल का समय निर्धारित है। इसके बाद रबी की बुआई शुरू हो जाएगी बारिश नहीं होने से खरीफ की खेती को काफी नुकसान पहुंचा है।
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मायूस हो रहे हैं किसान
समय पर वर्षा नहीं होने से किसान मायूस हैं। धान का बिचड़ा तैयार हो गया है, लेकिन पानी नहीं रहने से रोपनी नहीं हो सका है। अभी तक पचास से साठ प्रतिशत से ही रोपनी हो पाई है। बारिश होने पर किसानों को खेत तैयार करने में भी समय लगता है। बकुनियां के अरविद यादव, केदली के लक्ष्मी साह, गणेश निषाद आदि ने वैकल्पिक खेती का मन बनाया है।
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क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक
कृषि वैज्ञानिक सृष्टि का कहना है कि कोसी इलाके में धान और गेहूं की पैदावार पर विशेष तौर पर जोर दिया जाता है। मक्का की भी खेती की जाती है। अन्य राज्यों में ऐसा नहीं होता। वहां इसका अल्टरनेटिव खेती की जाती है। उन्होंने बताया कि यहां भी धान - गेहूं को छोड़कर मक्का, अरहर, दलहन और सब्जी जैसे फसलों को लगाना चाहिए जिसमें कम पानी की खपत होगी। साथ ही किसानों को अन्य फसलों के तीन गुना ज्यादा मुनाफा भी होगा।
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क्या कहते हैं अधिकारी
कृषि परामर्शी मनोज कुमार सिंह बताते हैं कि जुलाई के प्रथम सप्ताह तक धान का आच्छादन बीस से पच्चीस प्रतिशत ही हुआ था लेकिन यह अब पचासी से 90 प्रतिशत तक पहुंच गया है। प्रकृति का सहयोग मिला तो आनेवाले दिन में शत-प्रतिशत हो सकता है। किसान को वैकल्पिक खेती बेहतर परिणाम दे सकता है।

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