आवश्यकता से अधिक मिली यूरिया फिर भी किल्लत बरकरार

जागरण टीम, सुपौल। मानसून की बेरुखी के बावजूद किसानों ने किसी तरह 70 फीसद धान की रोपाई पूरी कर ली है। जिनकी रोपाई हो गई उन्हें अब यूरिया की जरूरत महसूस होने लगी है। यूरिया की मांग बढ़ने के साथ ही किल्लत भी शुरू हो गई है। ऐसे में यूरिया की कालाबाजारी की बात भी सामने आने लगी है। कालाबाजारी के आरोप में कृषि विभाग ने अब तक जिले के तीन उर्वरक विक्रेताओं के विरुद्ध कार्रवाई भी की है। बावजूद यूरिया को लेकर हाहाकार मचने लगा है। ग्रामीण इलाकों में खुदरा व्यवसाई किसानों से अधिक कीमत वसूल रहे हैं। अधिकांश दुकानदार यूरिया की रैक नहीं लगने की बात कह कर किसानों को लौटा रहे हैं जबकि वही दुकानदार मनमानी कीमत पर यूरिया किसानों को चोरी-छिपे दे रहे हैं। स्थिति है कि एक बैग यूरिया की कीमत किसानों से 350 से 400 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। जबकि कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार खरीफ मौसम में जुलाई तक जिले को जितनी यूरिया चाहिए उससे 113 फीसद अधिक आवंटन प्राप्त हो चुका है। बताया गया कि जुलाई माह तक जिले को 11972 एमटी यूरिया की आवश्यकता थी जिसके एवज में अब तक 12102 एमटी यूरिया आवंटित की जा चुकी है।


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कोट-
किसानों को यूरिया की किल्लत नहीं होने दी जाएगी। कालाबाजारी की सूचना किसान कृषि विभाग के कंट्रोल रूम में करें। अधिक कीमत लेने वाले विक्रेताओं पर प्राथमिकी दर्ज कर लाइसेंस रद किया जाएगा। उर्वरक का आवंटन धान फसल के लिए निर्धारित होता है परंतु जिले में इस बार जूट की खेती अधिक रकबा में हुई है। जिससे उर्वरक की खपत बढ़ गई है। कुछ प्रखंडों में यूरिया की किल्लत है। दो-तीन दिनों के अंदर किल्लत खत्म हो जाएगी।
-अजीत कुमार यादव, जिला कृषि पदाधिकारी
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उपलब्ध नहीं है रासायनिक खाद
संवाद सूत्र, सरायगढ़ (सुपौल) : सरायगढ़ भपटियाही प्रखंड क्षेत्र में किसान यूरिया और डीएपी के लिए जगह-जगह भटक रहे हैं। प्रखंड क्षेत्र में कहीं भी रासायनिक खाद उपलब्ध नहीं है। प्रखंड में लगभग छह हजार हेक्टेयर में धान की रोपनी होनी है। उसमें से 60 फीसद से अधिक खेतों में धान की रोपाई की जा चुकी है। प्रखंड क्षेत्र में 12 से अधिक लाइसेंसी खाद विक्रेता है जिनमें से चांदपीपर पैक्स के पास 10 बोरी मात्र डीएपी होने की बात बताई गई। प्रखंड कृषि पदाधिकारी राकेश कुमार ने बताया कि प्रखंड क्षेत्र में एक भी दुकानदार के पास यूरिया उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि डीएपी भी उपलब्ध नहीं है। 12 दुकानदार के पास कुछ खाद उपलब्ध थी जो बंट गई। उन्होंने कहा कि खाद उपलब्ध कराने के लिए प्रयास किया जा रहा है। दूसरी ओर खाद की कमी देख नकली खाद बेचे जाने का काम शुरू हो गया है। नकली खाद को बेचने के लिए दुकानदार किसानों से आधार कार्ड नहीं लेते। कई किसानों ने जिला कृषि पदाधिकारी से नकली खाद की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की है। हालांकि प्रखंड कृषि पदाधिकारी का कहना है कि उन्हें नकली खाद के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
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दुकानदारों ने खड़े किए हाथ
संवाद सूत्र, त्रिवेणीगंज (सुपौल) : वर्षा के बाद यूरिया की मांग प्रखंड क्षेत्र में काफी बढ़ गई है। किसानों का कहना है कि बहुत मुश्किल से बिस्कोमान में खाद मिल रही है। दुकानों में खाद नहीं मिल रही है। किसानों का आरोप है कि थोक विक्रेता खुदरा विक्रेता के नाम पर खाद की कालाबाजारी कर रहे हैं। प्रखंड कृषि पदाधिकारी अरविद कुमार राय ने बताया कि जरूरत के हिसाब से खाद आ रही है। -----------------------------
डीएम से गुहार
संवाद सूत्र, लौकहा बाजार (सुपौल) : सदर प्रखंड अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र लौकहा, अमहा, हरदी पूरब, हरदी पश्चिम, लाउढ़, करिहो आदि स्थानों पर किसान यूरिया की किल्लत से जूझ रहे हैं। कहीं-कहीं मनमाने दाम पर यूरिया मिल जाती है। दुकानदार यूरिया नहीं होने की बात कर रहे हैं। पैक्स गोदाम में सिर्फ नैनो यूरिया उपलब्ध है। किसानों का कहना है कि समय पर यूरिया नहीं मिलने से फसल के उत्पादन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। किसानों ने जिलाधिकारी से समस्या से निजात दिलाने की गुहार लगाई है।
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किसान परेशान
संवाद सूत्र, छातापुर (सुपौल) : खाद नहीं मिलने से किसानों की परेशानियां बढ़ गई है। किसानों को धान फसल में यूरिया खाद की जरूरत होती है। स्थानीय बाजार से यूरिया खाद नहीं मिल रही है। एक सप्ताह पूर्व दो दुकान में यूरिया खाद उपलब्ध थी। इधर वर्षा के बाद यूरिया की मांग अधिक बढ़ गई है। इस संदर्भ प्रखंड कृषि पदाधिकारी अरविद कुमार रवि ने बताया कि जिला से ही खाद की आपूर्ति नहीं हो रही है। सूत्रों की मानें तो स्थानीय बाजार सहित अन्य जगहों पर निर्धारित राशि से अधिक राशि में यूरिया खाद मिल जाती है।
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हो रही कालाबाजारी
संवाद सहयोगी, वीरपुर (सुपौल) : जिन खेतों में आषाढ़ माह में रोपाई हो गई उन फसलों के अच्छी पैदावार के लिए यूरिया की आवश्यकता है और जो किसान पानी के अभाव में रोपनी के लिए रुके हुए हैं उन्हें डीएपी की दरकार है लेकिन स्थानीय स्तर पर लाइसेंसी दुकानों में खाद की किल्लत देखी जा रही है। दुकानदार रैक के नहीं आने व आवंटन नहीं होने की बात कहकर किसानों को लौटा देते हैं। इससे इतर जगह-जगह ऊंची दामों पर खाद उपलब्ध होने की चर्चा भी होती है। किसानों को कालाबाजारी से खरीदना मजबूरी है। -------------------------
भटक रहे किसान
संवाद सूत्र, किशनपुर (सुपौल) : किसानों को खाद नहीं मिलने के कारण काफी परेशानी हो रही है। वे खाद के लिए भटक रहे हैं। किसानों का कहना है कि कुछ लाइसेंसी दुकानदार अधिक कीमत लेकर खाद देते हैं। गौरतलब है कि प्रखंड में एक दर्जन लाइसेंसी दुकानदार के अलावा कई पैक्सों को भी खाद उपलब्ध कराने का अनुमति दी गई है लेकिन खाद उपलब्ध नहीं होने के कारण किसान काफी परेशान हैं। किसानों का कहना है कि दो वर्षों से हमलोग खाद के लिए काफी परेशान रहते हैं।
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निर्धारित दर पर नहीं मिल रही खाद
संवाद सूत्र, करजाईन (सुपौल) :रतनपुर पैक्स में 10 से 15 दिनों के अंतराल पर खाद उपलब्ध हो जाने से लोगों को अभी राहत है। खुले बाजार में भी खाद उपलब्ध है, लेकिन किसानों की मानें तो बाजार में सरकार द्वारा निर्धारित दर पर उपलब्ध नहीं हो रही है। खाद तो मिल जाती है, लेकिन मूल्य अधिक चुकाना पड़ता है। किसानों ने बताया कि बाजार में यूरिया चार से पांच सौ रुपये प्रति बोरी मिल रही है। कहीं-कहीं यूरिया के साथ अन्य खाद भी लेना पडता है।
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फसल हो रही बर्बाद
संवाद सूत्र, मरौना (सुपौल) : प्रखंड क्षेत्र में यूरिया खाद नहीं मिलने से क्षेत्र के किसान परेशान हैं। किसानों ने बताया कि किसी भी डीलर के पास यूरिया उपलब्ध नहीं है। किसान सुबह से शाम तक चकर काट रहे हैं। जब यूरिया नहीं मिलती है तो थक-हार कर घर वापस आ जाते हैं। बताया कि फसलें यूरिया के कारण बर्बाद हो रहे हैं। अगर कही मिल भी जाती है तो अधिक दाम में मिलती है।
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बनी है किल्लत संवाद सहयोगी, निर्मली (सुपौल) : क्षेत्र में खाद की किल्लत बनी हुई है। अगर किसी दुकानदार के पास खाद मिलती भी है तो ऊंची कीमत ली जा रही है। सीमावर्ती नेपाल क्षेत्र से जुड़े प्रखंड की पंचायत डगमारा, कुनौली व कमलपुर के रास्ते खाद की कालाबाजारी भी चोरी छिपे हो रही है। प्रखंड प्रमुख ने किसानों को खाद उपलब्ध कराने का निर्देश प्रखंड कृषि पदाधिकारी को दिया था बावजूद इस दिशा में अभी तक कोई सकारात्मक पहल नहीं दिख रही है।

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