वीटीआर में नेपाली हाथियों का उत्पात, ले रहे जान

वाल्मीकिनगर : नेपाल के चितवन राष्ट्रीय निकुंज से निकले आधा दर्जन हाथी एक सप्ताह से वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) और इससे सटे क्षेत्र में उत्पात मचा रहे हैं। फसल चौपट कर रहे हैं। उन्हें वापस भेजने का प्रयास किया जा रहा है। भगाने के लिए मिर्ची समेत अन्य पटाखे का प्रयोग किया जा रहा है। मिर्ची पटाखा के धुएं को हाथी सहन नहीं कर पाते और भाग जाते हैं। जंगल में हाथियों से कर्मी गश्त कर रहे हैं। वीटीआर प्रशासन ने लोगों को सतर्क रहने को कहा है। शाम चार बजे के बाद जंगल की ओर से जाने की मनाही है।

नेपाल के चितवन में हाथी प्रजनन केंद्र है। वहां हाथियों की संख्या 200 से अधिक है। वीटीआर में महज पांच हाथी हैं। भोजन की तलाश और दूसरे झुंड के हमले से बचने के लिए वीटीआर सुरक्षित है। वीटीआर का ग्रासलैंड भी नेपाली जंगली हाथियों को आकर्षित करता है। यही कारण है कि चितवन से अक्सर हाथी यहां पहुंच जाते हैं। वन विभाग के पास इन्हें रोकने के लिए ठोस तरीका नहीं है। दोनों देश के जंगल आपस में मिले हैं। खुली सीमा है। इस कारण निगरानी के अलावा कोई और विकल्प नहीं है।
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बीते 10 वषरें में नेपाल से आए हाथी आधा दर्जन लोगों की जान ले चुके हैं। 50 से अधिक घरों को उजाड़ चुके हैं। हाथियों ने वर्ष 2013-14 में 23 आशियाने तबाह किए थे। चार लोगों की जान ली थी। 2015-16 में दो लोगों की मौत हुई थी। इसके अलावा कई घरों को नुकसान पहुंचाया।
वाल्मीकिनगर रेंजर राबिन आनंद का कहना है कि वाल्मीकि आश्रम के समीप नेपाली हाथियों की चहलकदमी है। इनकी संख्या करीब आधा दर्जन है। इनके बच्चों के पगचिह्न भी मिले हैं। इन हाथियों के उग्र तेवर को देखते हुए जटाशंकर मंदिर प्रशासन को अलर्ट कर दिया गया है। नेपाली हाथियों ने ग्रासलैंड में लगा बोर्ड तोड़ दिया है। शाम चार बजे के बाद यहां लोगों के बाहर निकलने पर रोक है। इसके लिए लाउडस्पीकर से चेतावनी दी जा रही है। हाथियों से गश्त कर नजर रखी जा रही है।

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