भारत की शिक्षा व्यवस्था में बिहार का बहुमूल्य योगदान

फोटो - 03 एमएडी -बीएनएमयू का चौथा दीक्षांत समारोह संपन्न राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान, ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव व शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने लिया भाग संवाद सूत्र, सिंहेश्वर (मधेपुरा) : दीक्षा समारोह में उपाधि प्राप्त करके विद्यार्थियों के जीवन का एक सोपान पूर्ण हुआ है। यहां से छात्रों को क्रमश: आगे बढ़ते जाना है। उक्त बातें बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान ने कही। वह बुधवार को भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षा समारोह में मुख्य अतिथि सह अध्यक्ष के रूप में बोल रहे थे।

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कुलाधिपति ने गोल्डमेडलिस्ट को स्वर्ण पदक प्रदान करते हुए कहा कि सभी विद्यार्थी अपने अर्जित ज्ञान को और अधिक विस्तृत करेंगे और दूसरों के साथ बाटेंगे। आप अपने क्षेत्र में सर्वोच्च मुकाम हासिल करेंगे और समाज व राष्ट्र के विकास और मानवता के कल्याण में अपना सर्वोत्तम योगदान देंगे। छात्र-छात्राएं विद्वता के साथ नैतिक मूल्यों को धारण करेंगे और उनमें उच्चादर्शों पर चलने की भरपूर इच्छा शक्ति व क्षमता विकसित होगी।उन्होंने बताया कि भारत की प्राचीन गौरवशाली शिक्षा-व्यवस्था में बिहार का बहुमूल्य योगदान रहा है। यहां के नालंदा व विक्रमशिला विश्वविद्यालय की पूरी दुनिया में ख्याति रही है। हमें अपने इस गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेते हुए अपने उज्ज्वल भविष्य की नई राह बनानी है।
दीक्षा समारोह की परंपरा सदियों पुरानी
कुलाधिपति ने बताया कि भारत में दीक्षांत समारोह की परंपरा सदियों पुरानी है। प्राचीन ग्रंथ उपनिषद् में भी इसका उल्लेख मिलता है। इस अवसर पर गुरू अपने शिष्यों को सत्य बोलने, कर्तव्य का पालन करने और स्वाध्याय में आलस्य नहीं करने की दीक्षा देते थे। यह दीक्षा आज भी प्रासंगिक है और हम सब को इसे मन वचन एवं कर्म से अपनाने की जरूरत है।
ज्ञान व कर्म के बीच समन्वय जरूरी
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि बिहार सरकार के ऊर्जा और योजना व विकास विभाग के मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि भूपेंद्र नारायण मंडल का नाम देश के समाजवादी विचारकों में अग्रगण्य है। उन्होंने अपने ज्ञान एवं आचार से एक नई मिसाल कायम की है। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा-व्यवस्था में ज्ञान एवं कर्म के बीच समन्वय पर जोर दिया गया है। आचरण के बिना कोरा ज्ञान भार स्वरूप है। अत: ज्ञान को समाज के हित में लगाने की जरूरत है।

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