पचना पहाड़ पर खनन से मंदिर और पौराणिक स्मृतियों पर खतरा

पचना पहाड़ पर खनन से मंदिर और पौराणिक स्मृतियों पर खतरा

जागरण संवाददाता, शेखपुरा : जिले में प्राकृतिक धरोहर पहाड़ सरकार के खजाने को भरने का बड़ा माध्यम साबित हो रहा है, मगर इसका साइड इफेक्ट जिले के दूसरे पौराणिक धरोहरों के अस्तित्व पर पड़ रहा है। पहाड़ों से पत्थर के उत्खनन की वजह से शेखपुरा के आसपास के कई पौराणिक धरोहर नष्ट हो चुके हैं और बचे हुए कुछ धरोहरों पर भी संकट मंडरा रहा है। इसी कड़ी में पचना पहाड़ पर स्थित वज्रतारा के मंदिर और महाभारत काल के शिलाचक्र पर नष्ट होने का खतरा मंडराने लगा है। इस धरोहर को संरक्षित रखने के लिए ग्रामीणों ने जिला पदाधिकारी और खनन पदाधिकारी से गुहार लगाई गई है। गांव के सामाजिक कार्यकर्ता तथा 20 सूत्री कमेटी के उपाध्यक्ष मनीष प्रियदर्शी ने बताया कि पचना पहाड़ में हो रहे खनन से आवासीय क्षेत्र में निर्माण को नुकसान पहुंचने के साथ अब पहाड़ पर स्थित प्राचीन धरोहरों को भी नुकसान हो रहा है। पत्थर खनन क्षेत्र के लगातार विस्तार होने और ब्लास्टिंग से मंदिर को नुकसान पहुंच रहा है।

11वीं सदी की दुर्लभ मूर्ति है पहाड़ पर : पचना पहाड़ पर 11वीं सदी की दुर्लभ वज्रतारा की मूर्ति है। यह मूर्ति ढाई वर्ष पहले इसी पहाड़ की खोदाई के दौरान मिली थी। काले पत्थर की यह मूर्ति पाल वंश काल (11 वीं सदी) की बताई जाती है। ढाई वर्ष पहले इस मूर्ति के मिलने पर बिहार विरासत सोसायटी की टीम ने शेखपुरा आकर इसका जायजा भी लिया था और इस मूर्ति को दुर्लभ बताया था। इसी मंदिर के निकट काले पत्थर का शिलाचक्र भी आदि काल से रखा है। इतिहास के जानकार प्रो. लालमणि विक्रांत ने बताया कि इस शिलाचक्र को महाभारत काल के होने का अनुमान है।
बोले अधिकारी :
पचना पहाड़ में खनन से मंदिर को नुकसान के खतरे को लेकर गांव के कुछ लोगों ने शिकायत की है। यहां खनन कार्य करने वाली एजेंसी को से खनन गतिविधि से जुड़े कागजात की मांग की गई है। कागजात की समीक्षा करने के बाद स्थलीय जांच भी की जाएगी। इसमें नियमानुसार आवश्यक कदम उठाया जाएगा। कार्रवाई में खनन और ब्लास्टिंग से जुड़े शर्तों को भी देखा जाएगा।
-अखलाक हुसैन, जिला खनिज विकास पदाधिकारी, शेखपुरा। 

अन्य समाचार