सीताकुंड से जुड़े स्थलों का हो रहा विकास

मोतिहारी। सभी प्रसिद्ध पौराणिक तीर्थस्थल के विकास को लेकर सरकार कार्य कर रही है। सीताकुंड धाम से जुड़े सभी स्थलों का विकास करना हमारी प्राथमिकता में शामिल है। उक्त बातें विधायक श्यामबाबू प्रसाद यादव ने सोमवार को बेदिबन मधुबन पंचायत के सीताकुण्ड धाम के समीप स्थित प्राचीन गोरधोई पोखर का अमृत सरोवर योजना से सौंदर्यीकरण एवं जीर्णोद्धार कार्यक्रम के उद्घाटन के मौके पर कहीं। कहा कि मनरेगा द्वारा अमृत सरोवर योजना से करीब दस लाख की लागत से प्राचीन पोखर का जीर्णोद्धार एवं सौदर्यीकरण कार्य किया जाएगा। आने वाले समय में सीताकुंड धाम से जुड़े सभी पोखरों का विकास का कार्य कराया जाएगा। इसी कड़ी में गंगा सागर पोखर पर पौधरोपण कार्यक्रम का भी शुभारंभ विधायक द्वारा पीपल वृक्ष लगा कर किया। इस बाबत जानकारी देते हुए मनरेगा कार्यक्रम पदाधिकारी संजय सिंह ने बताया कि पूरे पंचायत में सीताकुंड धाम से जुड़े स्थलों एवं पोखर पर तीन हजार फलदार एवं औषधीय पौधें लगाए जाएंगे। पौधरोपण कार्यक्रम का शुभारंभ विधायक श्यामबाबू प्रसाद यादव के द्वारा प्रसिद्ध गंगा सागर पोखर से किया गया है। मौके पर पंचायत मुखिया विजय साह, उदय सिंह उर्फ मोती सिंह, मालती देवी सहित काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।


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माता जानकी से जुड़ी हैं यादें
गोरधोई पोखर की यादें माता सीता एवं सीताकुंड धाम से जुड़ी है। लोकमान्यता के अनुसार त्रेतायुग में जब मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम एवं माता सीता की बारात जनकपुर से वापस लौट रही थी तब पूर्वी चंपारण के सीताकुंड धाम पर नवविवाहित की जोड़ी के चौठारी का रस्म पूरा हुआ था। वापसी बारात के ठहराव के क्रम में स्नान आदि के लिए सात तालाब का निर्माण कराया गया था। तभी से यह स्थल जनमानस के लिए श्रद्धा एवं भक्ति का केंद्र बना हुआ है। गोरधोई पोखर में माता सीता का चरण धुलाई का रस्म पूरा हुआ था। उस समय यह क्षेत्र राजा जनक के भाई कुश ध्वज का राज्य हुआ करता था।

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