अब देश में भूखे सोने की नहीं है नौबत

संवाद सूत्र, धरहरा (मुंगेर) : धरहरा प्रखंड के रामजी पासवान (97) ने जैसे ही सुना कि इस बार देश की आजादी का 75 वां अमृत महोत्सव मनाया जा रहा तो चेहरे पर एक मुस्कान आ गया। उम्र के अंतिम पड़ाव में रामजी पासवान ने बताया की देश आजाद होने के बाद भी 1970 तक लोगों का इलाज आयुर्वेद और प्राकृतिक पद्धति से होती थी। उस समय कहीं-कहीं अस्पताल हुआ करता था और आयुर्वेदिक चिकित्सक लोगों के घरों पर इलाज करने के लिए जाया करते थे। बुखार लगने अथवा अन्य कोई परेशानी होने पर प्राकृतिक पद्धति से इलाज किया जाता था। आजादी के बाद देश में बहुत बदलाव आया। जब वह किशोरावस्था में पढ़ाई करते थे तब 12 प्रतिशत लोगों को दो वक्त का अनाज नसीब था। उन्हें शाम भूखे रहना पड़ता था। अब देश में बिना कमाए भी भूखे सोने वाला कोई नहीं है। वह बताते हैं कि गरीब परिवारों को किसी त्योहार पर चावल का भोजन मिलता था। वह भी किसी किसानों के दरवाजे कई दिनों का चक्कर के काटने के बाद उन्हें याद है कि किसान परिवार से होकर भी उनलोगों को बचपन में बिस्टी कपड़े का एक टुकड़ा लपेट कर समय बीताना पड़ता था। यातायात के नाम पर बैलगाड़ी और कुछ ट्रेनें थी, इसके बाद आमलोगों की यात्रा पैदल ही होती थी।उस दौर में स्कूलें बहुत कम थी। गांव के लोग ही चंदा कर किसी गुरुजी से पढ़ते थे। 1966-67 में हरित क्रांति हुई। इस क्रांति के कारण भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया। हरित क्रांति में मुख्य योगदान उन्नत किस्म के बीजों का रहा है। दुग्ध क्रांति, नीली क्रांति की शुरुआत हुई। भारत दूध, सरसों, आलू और मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया। अंग्रेज के जमाने में लोग नदी तालाब का पानी तक पीते थे, अब तो हर घर नल का जल पहुंच गया है। भारत ने इन 75 वर्षों में कई कीर्तिमान हासिल किया।


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