84 पंचायतों को देना होगा जीएसटी का जुर्माना

- अब तक जीएसटी में निबंधन नहीं कराने का मामला

- पिछले महीने जिला पदाधिकारी ने भी जारी किया था सख्त आदेश
- कार्य प्रमंडलों ने निबंधन में दिखाई तत्परता
- एक बार फिर से आयोजित किया जाएगा जागरूकता कैंप
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- 07 प्रखंड पंचायत समिति ने भी की जीएसटी की अनदेखी
- 03 प्रखंड और 01 अंचल भी जुर्माने के दायरे में
- 68 पंचायतों का हुआ जीएसटी में निबंधन
- 30 फीसद पंचायत समिति की बिक्री कर फाइल कार्यालय पहुंच पाई
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अरविद कुमार सिंह, जमुई : जिले के 84 पंचायतों पर जुर्माने की गाज गिरने वाली है। जुर्माना के दायरे में सात पंचायत समिति, तीन प्रखंड और एक अंचल कार्यालय भी होंगे। मामला जीएसटी के तहत अब तक निबंधन नहीं कराने का है। दरअसल पंचायतों से लेकर अन्य सरकारी कार्यालयों में वस्तु एवं सेवा कर के रूप में एक प्रतिशत राशि की कटौती तो की जा रही है, लेकिन वह राशि जीएसटी के खाते में हस्तांतरित नहीं हो पा रही है। ऐसा निबंधन संख्या नहीं लेने की वजह से हो रहा है। ऐसे पंचायतों की संख्या जिले में 84 है।
बताया जाता है कि अब तक 68 पंचायत, नौ अंचल, सात प्रखंड तथा तीन पंचायत समिति ने अपना निबंधन कराया है। शेष कार्यालय या फिर संबंधित कर्मी व अधिकारी उदासीन बने हैं। इसका खामियाजा जुर्माना के रूप में भुगतना होगा। बताया जाता है कि दायित्व की तिथि से जुर्माना, लेट फाइन और 18 प्रतिशत ब्याज का प्रावधान है। इसको लेकर जुलाई में जिला पदाधिकारी ने सख्त आदेश भी जारी किया था। इसके बाद विभिन्न कार्य प्रमंडलों और कई विभागों ने निबंधन में तत्परता दिखाई और आशातीत परिणाम सामने आया है, लेकिन लापरवाही के मामले में पंचायती राज संस्थानों के कार्यपालक अव्वल हैं।
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कटौती के समतुल्य देना होगा पेनाल्टी
जीएसटी की कटौती के पश्चात अगले महीने की 10 तारीख तक राशि हस्तांतरित नहीं होने पर पेनाल्टी प्रारंभ हो जाती है। न्यूनतम दस हजार रुपये से लेकर कटौती के समतुल्य राशि जुर्माना के साथ अवधि के हिसाब से लेट फाइन और फिर उस पर 18 प्रतिशत ब्याज देना होता है। बड़ी बात यह है कि जुर्माने की रकम लापरवाही के लिए जिम्मेदार व्यक्ति से वसूल की जाएगी। जानकार बताते हैं कई प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचल अधिकारी तथा पंचायत सचिव को जुर्माना के तौर पर कई-कई हजार रुपये भरने होंगे। फिलहाल इस दायरे में सोनो, बरहट एवं खैरा प्रखंड के अलावा गिद्धौर अंचल तथा बरहट, खैरा, गिद्धौर, अलीगंज, सिकंदरा एवं चकाई पंचायत समिति शामिल है। यहां बताना लाजमी है कि जीएसटी की कटौती अब तक पंचायत समिति की ओर से भी कार्यपालक पदाधिकारी की हैसियत से संबंधित प्रखंड विकास पदाधिकारियों द्वारा ही की गई है।
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कोट
जिले में 84 पंचायत, सात पंचायत समिति, तीन प्रखंड तथा एक अंचल ने जीएसटी में अब तक निबंधन नहीं कराया है। इसके लिए एक बार फिर से जागरूकता कैंप लगाने का निर्देश विभाग से प्राप्त हुआ है।
तेज कुमार कुजूर, राज्य कर संयुक्त आयुक्त, जमुई

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