विकास की कहानी : हम लोकतंत्र को और मजबूत बनाने का संकल्प लें

जागरण संवाददाता, खगड़िया: नागेश्वर प्रसाद सिंह की उम्र 82 वर्ष है। वे खगड़िया के गुलाब नगर में रहते हैं। वे कहते हैं- मेरे पिता जी स्मृति शेष रामेश्वर प्रसाद सिंह बताते थे कि गांधी जी ने जब देश की आजादी का शंखनाद किया, तो लोगों ने ठान ली, कि, अब अंग्रेजों को देश से भगाना है। देश की आजादी के लिए लोग सर पर कफन बांधकर निकल पड़े। जिसके बाद स्वतंत्रता संग्राम में हर आयु और वर्ग के लोग शामिल हुए। सभी उम्र के लोग आजादी की लड़ाई का सिपाही बने। जिसके बाद 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ। देशवासियों ने आजाद हवा में सांस लेना शुरू किया। नागेश्वर बाबू बताते है कि देश में अब चुनाव प्रणाली महंगी हो गई है। यह शुभ संकेत नहीं है। अब गरीबों का लोकसभा और विधान सभा का चुनाव लड़ना मुश्किल है। देश में जब पहला लोकसभा चुनाव हुआ, उस समय प्रत्याशी बैलगाड़ी पर चुनाव प्रचार करते थे। चुनाव में खर्च नाम मात्र का हुआ करता था। लोग प्रत्याशियों का चुनाव उनकी व्यक्तिगत चाल, चलन और नेतृत्व क्षमता को देखकर करते थे। पार्टियों की घोषणा पत्रों पर बात होती थी। अब तो लग्जरी गाड़ियों के काफिले के संग प्रत्याशी चुनाव प्रचार करते हैं। धनबल, बाहुबल का बोलबाला है। यह लोकतांत्रिक परंपरा के लिए ठीक नहीं है। आजादी के अमृत महोत्सव पर हम लोकतंत्र को और मजबूत बनाने का संकल्प लें। आज घर के बगल में बूथ रहने पर भी कई लोग मतदान को नहीं जाते हैं। यह ठीक नहीं है। हां, आर्थिक प्रगति हुई है। सड़क, रेल मार्ग का विकास हुआ है।


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