अगस्त क्रांति के दहकते कुंड में सारण के दाउदपुर के तीन वीरों ने दी प्राणों की आहुति

अगस्त क्रांति के दहकते कुंड में सारण के दाउदपुर के तीन वीरों ने दी प्राणों की आहुति

सारण । अगस्त क्रांति की लहर सारण के गांव-गांव में फैल चुकी थी। तिरहुत प्रमंडल के तत्कालीन आयुक्त ने मुख्य सचिव को संदेश भेज कह चुके थे कि परिस्थितियां नियंत्रण से बाहर है और सारण में कुछ भी हो सकता है। वही हुआ जिसका तिरहुत कमिश्नर को डर था। 13 अगस्त 1942 के आते-आते संपूर्ण सारण में क्रांति की ज्वाला धधक उठी। इस धधकती ज्वाला में मांझी प्रखंड के दाउदपुर गांव के तीन क्रांतिवीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी। इस दिन सिवान के शहीद सराय गोलीकांड में जिस चार युवा क्रांतिकारियों ने बलिदान दिया उसमें एक छट्ठू गिरि दाउदपुर गांव के थे। वहीं उसी दिन दाउदपुर पुलिस फायरिंग में उनके दो भतीजे कमता गिरि व फागू गिरि ने बलिदान दिया। डा. केके दत्ता की पुस्तक बिहार में स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास इस वाकये की पुष्टि करता है। इनमें छट्ठू गिरि चाचा थे एवं कमता गिरि व फागू गिरि उनके भतीजा थे। छट्ठू गिरि नमक सत्याग्रह के दौरान बने क्रांतिकारी शहीद स्मारक समिति दाउदपुर के अध्यक्ष शारदानंद सिंह बताते हैं कि महात्मा गांधी ने जब देश में पूर्ण स्वाधीनता की घोषणा की। चार नवम्बर 1930 को नमक बनाकर कानून तोड़ने के लिए असहयोग आन्दोलन शुरू किया तो सबसे पहले सारण जिले के मांझी थाना के बरेजा में पं. जवाहर लाल नेहरू आये। यहां नमक कानून तोड़कर नमक बनाया गया। इसका असर 12 वर्षीय नौजवान छट्ठू गिरि पर पड़ा। वे गिरफ्तार कर लिए गये और उनकी हाई स्कूल की पढ़ाई ठप पड़ गई। छह माह तक जेल में रहे। जेल से छूटकर कर आये तो संगी-साथियों की तलाश कर क्रांतिवीरों का दस्ता तैयार किये। कमता गिरि व फागू गिरि भी उनके क्रांतिकारी दस्ता के अंग थे। रेल, डाक व तार अवरुद्ध करने की कोशिश में बलिदान दिये छट्ठू गिरि दाउदपुर के क्रांतिवीर छट्ठू गिरि रेल, डाक व तार अवरूद्ध करने की कोशिश में अपना बलिदान दिए। वे उस दिन अपने दोनों भतीजा कमता गिरि व फागू गिरि के साथ सरकारी इमारतों से अंग्रेजों का झंडा उतार तिरंगा लहराने के लिए 1942 के 13 अगस्त को सिवान पहुंचे थे। सिवान में वे अपने सहयोगी साथियों के साथ आगे बढ़े। एसडीओ कोर्ट पर तिरंगा फहराए वहीं पर गोली चली जिसमें छट्ठू गिरि बलिदानी को गये। दाउदपुर में रेल लाइन उखाड़ने के दौरान अंग्रेजों की फायरिंग में कमता गिरि व फागू गिरि ने बलिदान दिया सिवान में चाचा छट्ठू गिरि के बलिदानी होने के बाद वहां से कमता गिरि व फागू गिरि दाउदपुर आकर उग्र प्रदर्शन करने लगे। यहां रेल लाइन उखाड़ रहे थे। उसी बीच अंग्रेजी सेना का एक दस्ता पहुंचा हुआ था। सेना के ये जवान क्रांतिकारियों की भीड़ पर गोलियां बरसाने लगे। इस गोलीबारी में कमता गिरि व फागू गिरि का बलिदान हो गया। आंदोलनकारियों ने दाउदपुर रेलेवे स्टेशन को आग के हवाले कर दिया और रेल पटरी उखाड़ दी। यहां के डाकघर पर कब्जा जमा लिया। छपरा से अंग्रेज सेना की टोली पहुंची और आते ही आंदोलनकारियो पर गोलियां बरसाने लगी।
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