एक ऐसा विद्यालय जहां एक ही कमरे में पढ़ाए जाते पहली से पांचवी कक्षा के बच्चे

बथनाहा (सीतामढ़ी)। यह सुनकर चौंकना स्वाभाविक है कि एक ही कक्ष में आखिर पांच-पांच कक्षाएं कैसे संचालित होती होंगी! मगर ये सोलह आने सच है। डायन छपरा पंचायत के माधोपुर मुसहरवा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में पहली से पांचवी कक्षा तक के बच्चों को एक ही वर्ग कक्ष में पढ़ाया जाता है। ऐसा नहीं है कि विद्यालय में अन्य कमरे नहीं हैं, मगर उनका उपयोग प्रधानाध्यापक दूसरे कार्य में करते हैं। उनके हिसाब से वे कमरे खुलते हैं। यह विद्यालय दो मंजिल का है जिसमें नीचे-ऊपर मिलाकर पांच कमरे हैं। सवाल लाजिमी है जब एक ही कक्षा में पांच-पांच कक्षा के बच्चे पढ़ाई करते होंगे तो उनकी पढ़ाई की गुणवत्ता का क्या हश्र होगा। स्थानीय लोग बदहाल व्यवस्था को लेकर नाराजगी जाहिर करते हैं। उनके अनुसार, पढ़ाई की स्थिति बिल्कुल अच्छी नहीं है। जिससे बच्चे कम गए हैं। दूसरे विद्यालय में बच्चों को भेज रहे हैं। इस विद्यालय में शैक्षणिक व्यवस्था को दुरुस्त करने की चिता शायद किसी को नहीं है। बथनाहा प्रखंड में बीईओ भी प्रभार में ही हैं। सुप्पी के बीईओ शंभू सिंह को यहां का चार्ज है। जब उनसे विद्यालय की व्यवस्था के बारे में बात की गई तो उनका कहना था कि वह खुद जांच-पड़ताल करने विद्यालय पहुंचेंगे। विद्यालय प्रधान के बारे में जो शिकायतें सामने आ रही हैं, उसपर यथोचित कार्रवाई भी होगी। हाजिरी बही में 35 बच्चों की उपस्थिति, मिड डे मील बना 50 बच्चों के लिए

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इस विद्यालय में 270 बच्चे नामांकित हैं, उपस्थिति 25 से 30 बच्चों की हो पाती है। उन्हें पढ़ाने के लिए एक शिक्षक व एक शिक्षिका हैं। गुरुवार को 25 बच्चे उपस्थित थे। मगर हाजिरी बही में 35 बच्चों की उपस्थिति दर्शायी गई थी। वहीं मिड डे मील 50 बच्चों के लिए बना था। विद्यालय में आज भी शौचालय नहीं है, खुले में शौच से मनाही के लिए जब इतना शोर है। बच्चे खुले में शौच जाते हैं या उसी बहाने घर पहुंच जाते हैं। मध्याह्न भोजन के लिए शेड व पेयजल के लिए चापाकल हैं। विद्यालय में बाउंड्री नहीं होने से प्रांगण मवेशियों का चारागाह बना रहता है। अभिभावक प्रमोद राय, सुशील राय, अमीरी लाल साह, रामजीवन साह, मनोज सिंह का कहना है कि विद्यालय के संचालन के नाम पर लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं, मगर फलाफल शून्य है। लूट-खसोट की संस्कृति हावी है। बदहाल व्यवस्था का स्याह चेहरा आया सामने
सरकारी विभाग में यह संस्कृति तेजी से पनप रही है '11 बजे तक लेट नहीं और एक बजे के बाद कर्मियों से भेंट नहीं'। गुरुवार को जागरण की पड़ताल में इस विद्यालय की बदहाल व्यवस्था का स्याह चेहरा सामने आया। वहां के प्रधानाध्यापक रामनाथ गुप्ता स्वयं विद्यालय नहीं पहुंच सके थे। सहायक शिक्षिका आशा कुमारी बरामदे पर टहल रही थीं। प्रधानाध्यापक के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि आज बहुत कम संख्या में बच्चे आए हैं। उन्हें बुलाने गांव में गए हैं। पास बैठे कुछ लोगों ने बताया कि प्रधानाध्यापक रामनाथ गुप्ता की दिनचर्या ही कुछ ऐसी है। वे अक्सर 11 बजे तक विद्यालय पहुंचते हैं और एक बजे तक यहां से निकल जाया करते हैं। प्रधानाध्यापक की अनुपस्थिति में शिक्षक और बच्चे सब अपनी धुन में नजर आए। बच्चे इधर-उधर बैठकर समय काट रहे थे। विद्यालय में प्रधानाध्यापक रामनाथ गुप्ता उपस्थित नहीं थे। हमने उनसे संपर्क करने के लिए फोन मिलाया, लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हो सका। वाकई इस विद्यालय की बदहाली चिताजनक है। बच्चों के खुले में शौच जाने की बात शर्मशार करने वाली है। ऐसी क्या मजबूरी है जब एक ही कक्ष में पांच कक्षा के बच्चों को पढ़ाया जाता है, ये सोचने वाली बात है। विद्यालय में बाउंड्री का निर्माण क्यों नहीं हो पाया, इसके बारे में पता लगाकर व्यवस्था को तत्काल दुरुस्त कराने की कोशिश करूंगा।
मुखिया राजू कुमार सिंह

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