स्वतंत्रता संग्राम में कम्युनिस्टों की रही महती भूमिका : अरुण

समस्तीपुर । विभूतिपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत झहुरा स्थित शहीद रामनाथ पुस्तकालय के सभागार में गुरुवार को माकपा नेता शहीद गुनेश्वर सिंह को शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि दी गई। सर्वप्रथम कार्यकर्ताओं ने उनकी तस्वीर पर फूल माला अर्पण कर उन्हें सलाम किया। इसके बाद आजादी की लड़ाई में कम्युनिस्टों की भूमिका एवं वर्तमान राजनीतिक संदर्भ विषय पर सेमिनार आयोजित हुई । अध्यक्षता नवीनचंद्र सिंह ने की। संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय कमेटी सदस्य अरुण कुमार मिश्रा ने कहा कि भारत की स्वाधीनता संग्राम में कम्युनिस्टों ने कुर्बानी दी है। मेरठ षड्यंत्र केस, कानपुर लाहौर षड्यंत्र केस जैसे लड़ाई में जो नाम आए थे, वह ज्यादातर कम्युनिस्टों के थे। इस मामले में दर्जनों लोगों की गिरफ्तारी हुई। उनको जेल भेजा गया। इसके साथ-साथ 1936 में लखनऊ के अंदर किसान सभा लेखकों का संगठन एवं छात्रों का संगठन तैयार किया गया। वह आजादी की लड़ाई को मजबूती प्रदान करने के लिए किया गया। भगत सिंह के नेतृत्व में भी ट्रेड डिस्प्यूट बिल और साइमन कमीशन के भारत आने के समय जो पार्लियामेंट के अंदर बम फेंकने की घटना घटित हुई और अंग्रेजों के विरुद्ध कोर्ट का इस्तेमाल एक प्लेटफार्म के रूप में किया गया। अपनी बातों को पूरे देश की जनता के बीच ले जाने के लिए इस्तेमाल किया गया। बाल गंगाधर तिलक ने स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है का नारा दिया और सभी के सम्मिलित प्रयास से हमारे देश को आजादी मिली। भगत सिंह, खुदीराम बोस, चंद्र शेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान जैसे वीर सपूतों ने हजारों की संख्या में अपने प्राणों की आहुति दी है। तब जाकर हमारा देश आजाद हुआ। माकपा विधायक अजय कुमार ने कहा कि आजादी की लड़ाई में कम्युनिस्टों की भूमिका का शानदार इतिहास है। हमारे वीर योद्धाओं ने लाठी खाने, जेल जाने और फांसी के फंदा को गले लगाने में कोई हिचक नहीं दिखाई थी। वही आरएसएस का इतिहास अंग्रेजों से माफी मांगने का रहा है। इसलिए इनका राष्ट्रवाद और राष्ट्रप्रेम नकली है। कार्यक्रम को जिला मंत्री रामाश्रय महतो, जिला सचिव मंडल सदस्य महेश कुमार, लोकल सचिव मिथिलेश सिंह, विश्वनाथ महतो, श्याम किशोर कमल, सिया प्रसाद यादव, शशि कांत झा, रामदेव राय, ललन सिंह, राजगीर यादव, डा. विष्णु देव सिंह, पवन सिंह समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे।


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