फर्जी प्रमाणपत्र व जालसाजी के आरोप में सात शिक्षक सेवामुक्त

जागरण संवाददाता, सुपौल: जिले में फर्जी प्रमाण पत्र पर नियोजित शिक्षकों पर विभाग ने नकेल कसना शुरू कर दिया है। विभाग ने ऐसे शिक्षकों को चिह्नित करते हुए शिक्षकों को सेवा मुक्त करते हुए नियोजन इकाई को अनुपालन प्रतिवेदन समर्पित करने को कहा है।

हालांकि ऐसा मामला कोई नया नहीं है। पूर्व में ही प्रमाणपत्रों की जांच पड़ताल के दौरान ऐसे शिक्षकों को चिह्नित करते हुए नियोजन इकाई को सेवा मुक्त करने का आदेश निर्गत किया गया था। बावजूद नियोजन इकाई के रहमो करम पर ऐसे शिक्षक जमे थे और वेतन सहित अन्य लाभ ले रहे थे।

फिलहाल जिले में छह ऐसे शिक्षकों को चिन्हित किया गया है जो उच्चतर माध्यमिक शिक्षा परिषद नई दिल्ली का शैक्षणिक प्रमाण पत्र संलग्न किए है। जबकि जांच में ये बात स्पष्ट हो चुकी थी कि इस नाम की कोई संस्था ही नहीं है। इसके अलावा एक शिक्षक ऐसे हैं जो धोखाधड़ी कर दो बार मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण हुए और तब शारीरिक शिक्षक के रूप में नियोजित हुए। पूर्व के आदेश का पालन नहीं होते देख जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना ने एक बार फिर संबंधित नियोजन इकाई को ऐसे शिक्षकों को बर्खास्त कर कार्रवाई से अवगत कराने को कहा है।
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फर्जी संस्था से जुड़ा है मामला
दरअसल एक मामला उच्चतर माध्यमिक शिक्षा परिषद नई दिल्ली संस्था से जुड़ा हुआ है। वर्ष 2006, 2008 तथा 2012 में जिले में हुए शिक्षक नियोजन मे 6 शिक्षकों ने उच्चतर माध्यमिक शिक्षा परिषद नई दिल्ली संस्थान के शैक्षणिक व शैक्षणिक प्रमाण पत्र संलग्न कर शिक्षक बनने में कामयाबी हासिल कर ली । बाद के दिनों में जब प्रमाण पत्र की जांच की गई तो उक्त संस्था ही फर्जी पाई गई। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार के माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा विभाग तथा काउंसिल ऑफ बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन इन इंडिया के द्वारा जारी मान्यता प्राप्त बोर्ड एवं काउंसिल की सूची में उत्तर माध्यमिक शिक्षा परिषद का नाम ही नहीं है। जिसके बाद विभाग ने उक्त संस्था से निर्गत प्रमाण पत्र वाले शिक्षकों को बर्खास्त करने का निर्देश दिया। विभाग द्वारा जारी निर्देश के मुताबिक जिला शिक्षा पदाधिकारी ने संबंधित नियोजन इकाई को ऐसे प्रमाण पत्र वाले शिक्षकों को बर्खास्त करने को निर्देशित किया। परंतु नियोजन इकाई के रहमो करम पर ऐसे फर्जी शिक्षक आज भी अपने पद पर डटे हुए हैं और सरकार से वेतन पा रहे हैं।
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वेतन वृद्धि के क्रम में दोबारा खुली बात
इधर निर्देश के बाद भी फर्जी शिक्षकों को हटाए नहीं जाने का पर्दाफाश तब हुआ जब विभाग ने प्रारंभिक विद्यालयों के शिक्षकों को 15 फीसद वेतन वृद्धि के लिए शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच करनी शुरू की तो पाया गया कि जिन 6 शिक्षकों को पूर्व में बर्खास्त करने को कहा गया वे शिक्षक अब भी बने हुए हैं। इसको लेकर डीपीओ स्थापना ने पिपरा प्रखंड स्थित पंचायत शिक्षक नियोजन इकाई पथरा दक्षिण में पदस्थापित संगीता कुमारी ,रणवीर कुमार, प्रखंड शिक्षक नियोजन इकाई पिपरा के संजीत कुमार सुमन, पंचायत शिक्षक नियोजन इकाई बायसी राघोपुर के पूनम कुमारी, पंचायत शिक्षक नियोजन इकाई देवीपुर राघोपुर के कृष्णा कुमारी तथा पंचायत शिक्षक नियोजन इकाई लाउढ सुपौल के जय कुमार को बर्खास्त करने को निर्देशित किया था। वहीं त्रिवेणीगंज प्रखंड स्थित उमवि मानगंज के शारीरिक शिक्षक भेदीलाल सरदार उर्फ वेदानंद सरदार को भी बर्खास्त करने का निर्देश संबंधित नियोजन इकाई को दिया गया था। निर्देश के बावजूद नहीं हटाए जाने पर पुन: निदेशित किया गया है।
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बिना कारण वर्षों से अनुपस्थित सात शिक्षकों को सेवा मुक्त करने का निर्देश
बिना कारण वर्षों से अनुपस्थित सात शिक्षकों को सेवा मुक्त करने का निर्देश डीपीओ स्थापना ने संबंधित नियोजन इकाई को दिया है। इनमें कई ऐसे शिक्षक हैं जो वर्षों से बिना सूचना विद्यालय से गायब हैं। ऐसे जिन सात शिक्षकों को बर्खास्त करने का निर्देश जारी किया गया है उनमें सदर प्रखंड के मवि मल्हनी टोला हसना की बबीता कुमारी, सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड के प्रावि सरदार टोला के ज्योति जागृति, राघोपुर प्रखंड मवि हरिराहा कला के प्रियंका रानी, सदर प्रखंड के मवि डभारी के रीतू कुमारी, राघोपुर प्रखंड के प्रावि सुदामा नगर हरिराहा के रहमतुल्ला,सदर प्रखंड के प्रावि कृषि फार्म चैनसिगपट्टी के रेणु कुमारी तथा सदर प्रखंड के मवि परसौनी के प्रियंका कुमारी का नाम शामिल है।

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