याद करो बलिदान: पसराहा कटिग अर्थात अगस्त क्रांति का जीवंत दस्तावेज

जागरण संवाददाता, खगड़िया: बरौनी-कटिहार रेलखंड के पसराहा स्टेशन और भरतखंड हाल्ट के बीच तिहाय गांव से उत्तर पसराहा कटिग है। यह कटिग आजादी की लड़ाई का जीवंत दस्तावेज है। अगस्त क्रांति का गवाह है।

बापू के आह्वान पर 23 अगस्त 1942 को अंग्रेजी हुकूमत से तंग आकर देश को आजाद कराने के लिए यहां वीर जवानों ने रेल पटरी को उखाड़ फेका था। वह पसराहा कटिग के नाम से विख्यात है। अब यहां से दूर रेलवे लाइन है। पसराहा कटिग में सालों भर पानी रहता है। खैर, यहां रेल पटरी को तहस-नहस करने में मुख्य भूमिका तिहाय के चंचल मिस्त्री, भोला मंडल, चमक लाल पासवान, तेलिया बथान के मुंदर भगत आदि ने निभाई थी। जब स्वतंत्रता के ये सेनानी रेल पटरी उखाड़ कर घर लौट रहे थे, तो तेहाय गांव के निकट अंग्रेज सैनिकों ने उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया था। चारों वीर सपूत बलिदान हो गए थे। इतिहास के गहन अध्येता अमरीष कुमार कहते हैं- इस अमर बलिदान का जिक्र 'स्वतंत्रता आंदोलन में बिहार का योगदान' किताब में भी है।
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तेलिया बथान के राजेश भगत बताते हैं कि रेल विभाग ने इस कटिग पर सीधा में रेल पुल बनाने की योजना बनाई थी। परंतु उस समय के विधायक रामचंद्र मिश्र समेत अन्य ने कहा कि जो शहीद हुए हैं उनके नाम पर पुल का नामकरण किया जाए। रेलवे की ओर से इस दिशा में हरी झंडी नहीं मिली और पसराहा कटिग पर लोगों ने पुल बनाने का विरोध कर दिया था। बाद में वहां से कुछ दूरी पर रेल लाइन बिछाई गई। पसराहा कटिग के पास अमर बलिदानियों का बने स्मारक

इतिहास के अध्येता और सामाजिक कार्यकर्ता अमरीष कुमार कहते हैं- पसराहा कटिग को संरक्षित करने की जरूरत है। इसे रमणीक स्थल में परिवर्तित कर अमर बलिदानियों की प्रतिमा स्थापित की जाए। परबत्ता निवासी और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव डा. चंदन यादव ने कहा कि
इसको लेकर सूबे की सरकार का ध्यान आकृष्ट कराएंगे।

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