सरकारी राशि गबन के आरोप में भवानंदपुर पंचायत के मुखिया अयोग्य घोषित

सरकारी राशि गबन के आरोप में भवानंदपुर पंचायत के मुखिया अयोग्य घोषित

जागरण संवाददाता, बेगूसराय : सरकारी राशि के गबन के आरोप में वीरपुर प्रखंड की भवानंदपुर पंचायत के मुखिया दीपक कुमार को डीएम रोशन कुशवाहा ने अयोग्य घोषित कर दिया है। इस आशय का पत्र पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव को भेजते हुए अयोग्य घोषित करने की अनुशंसा स्वीकार करने का अनुरोध किया है। प्रधान सचिव को भेजे पत्र में डीएम ने कहा है कि मुखिया द्वारा निहित शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए अपने कर्तव्यों के निर्वहन में दुराचार कर सरकारी राशि गबन करने का आरोप प्रमाणित पाया गया। साथ ही उनके द्वारा प्राप्त स्पष्टीकरण भी संतोषजनक नहीं पाया गया। जिला पंचायती राज पदाधिकारी द्वारा मुखिया के विरुद्ध जांच में षष्ठम राज्य वित्त आयोग से प्राप्त राशि में अनियमितता एवं गबन सामने आया है। विभिन्न योजनाओं की जांच में यह पाया गया कि किसी योजना के अभिलेख में किसी का हस्ताक्षर नहीं है, तो किसी योजना की बिना तकनीकी स्वीकृति के ही प्रशासनिक स्वीकृति दे दी गई। जांच में कार्य कराए बिना योजना की राशि निकासी कर लेने का मामला भी सामने आया है।
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योजना वार अनियमितता :
1. वर्ष 2022-23 की योजना संख्या दो की जांच में योजना अभिलेख में किसी का हस्ताक्षर नहीं पाया गया। इस योजना में अभिलेख के साथ 17 अगस्त 2021 का तकनीकी स्वीकृति लगा हुआ है। जबकि प्रशासनिक स्वीकृति 20 अप्रैल 2022 का संलग्न है। तकनीकी सहायक ने जांच पदाधिकारी को उनके द्वारा इस योजना का प्राक्कलन नहीं बनाने की बात कही गई है। खास बात यह कि षष्ठम राज्य वित्त आयोग की इस योजना में संलग्न प्राक्कलन 15 वीं वित्त मद का है। जो ई-ग्राम स्वराज पोर्ट से प्राप्त प्रतिवेदन से भी स्पष्ट है। प्रधान सचिव को भेजे पत्र के मुताबिक मुखिया द्वारा 15 वें वित्त के लिए तैयार प्राक्कलन को षष्ठम राज्य वित्त आयोग योजना के अभिलेख में संलग्न कर योजना का दोहरीकरण किया गया है तथा योजना का कार्य कराए बिना एक लाख 92 हजार पांच सौ रुपये की निकासी कर ली गई है।
2. वर्ष 2022-23 की योजना संख्या तीन में योजना प्रारंभ होने की तिथि अंकित नहीं है। अभिलेख के साथ 17 अगस्त 2021 का तकनीकी स्वीकृति लगा हुआ है। जबकि योजना की प्रशासनिक स्वीकृति 25 अप्रैल 2022 को दी गई है। इस योजना के संबंध में भी तकनीकी सहायक ने इस योजना का प्राक्कलन नहीं बनाने की बात कही है। खास यह कि जिले को षष्ठम वित्त आयोग की राशि 11 मार्च 2022 को विभाग द्वारा जारी पत्र से प्राप्त हुई है। ऐसी स्थिति में योजना का प्राक्कलन 17 अगस्त 2021 को ही कैसे बनाया जा सकता है। अभिलेख के साथ संलग्न प्राक्कलन भी 15 वीं वित्त मद का है और ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर भी 15 वीं वित्त से उक्त योजना आनगोइंग है। इस योजना में भी योजना का दोहरीकरण करने एवं कार्य कराए बिना दो लाख 42 हजार पांच सौ रुपये निकासी कर लेने का मामला जांच में सामने आया है।
3. वर्ष 2022-23 की योजना संख्या चार के अभिलेख में भी योजना प्रारंभ होने की तिथि अंकित नहीं है। इस योजना में वित्तीय नियमावली का उल्लंघन करते हुए पांच लाख से अधिक राशि वाली सामग्री की खरीद बिना किसी टेंडर या जेम पोर्टल के कर लिया गया। सामग्री आपूर्ति का आदेश पंचायत सचिव के अपने दामाद मे. जय गुरु मल्टी इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर धर्मेंद्र कुमार को दिया गया। सामग्री आपूर्ति के विरुद्ध छह लाख एक हजार पांच सौ रुपये का भुगतान भी उक्त एजेंसी को कर दिया गया। अभिलेख में तीन कोटेशन दर्शाया गया है, लेकिन अन्य दो कोटेशन में किसी का हस्ताक्षर नहीं पाया गया।
4. वर्ष 2022-23 की योजना संख्या पांच के अभिलेख में 25 अप्रैल 2022 को तकनीकी स्वीकृति का आदेश दिया गया है, लेकिन तकनीकी स्वीकृति अप्राप्त है। तकनीकी स्वीकृति वाले पत्र में सिर्फ पत्रांक-13, दिनांक 25 अप्रैल 2022 अंकित है, लेकिन तकनीकी सहायक का हस्ताक्षर नहीं है। तकनीकी सहायक ने लिखित बयान में कहा है कि उनके द्वारा उक्त योजना का प्राक्कलन नहीं बनाया गया है। स्पष्ट है कि मुखिया द्वारा बिना तकनीकी स्वीकृति के ही प्रशासनिक स्वीकृति दी गई तथा 15 वीं वित्त के लिए तैयार प्राक्कलन षष्ठम राज्य वित्त आयोग योजना के अभिलेख में संलग्न कर दिया गया और कार्य कराए बिना 40 हजार रुपये की निकासी कर ली गई है।
5. वर्ष 2022-23 की योजना संख्या छह में योजना अभिलेख में 25 अप्रैल 2022 को तकनीकी स्वीकृति वाले पत्र में सिर्फ पत्रांक 14, दिनांक 26 अप्रैल 2022 दर्ज है, लेकिन तकनीकी सहायक का हस्ताक्षर नहीं है। इस योजना के संबंध में भी तकनीकी सहायक ने लिखित बयान दिया है कि उनके द्वारा योजना का प्राक्कलन नहीं बनाया गया है, जिससे स्पष्ट है कि मुखिया द्वारा बिना तकनीकी स्वीकृति के प्रशासनिक स्वीकृति दी गई तथा 15 वीं वित्त के लिए तैयार प्राक्कलन को षष्ठम राज्य वित्त आयोग की योजना अभिलेख में संलग्न कर कार्य कराए बिना 40 हजार रुपये की निकासी कर ली गई।

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