रिफाइन व सरसों तेल के दाम में कमी फिर भी बिगड़ रहा किचन का बजट

रिफाइन व सरसों तेल के दाम में कमी फिर भी बिगड़ रहा किचन का बजट

जासं, सिवान : महंगाई की मार पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस के साथ-साथ खाने-पीने की चीजों पर पड़ रही है। इससे आमजन की जेब ढीली हो गई है। हालांकि, सरकार ने कुछ हद तक सरसों तेल और रिफाइन के दाम पर नियंत्रण कर इन्हें आम आदमी की पहुंच तक रखने का प्रयास किया है लेकिन, सब्जी-फल व दूध समेत विभिन्न खाद्य सामग्री के दाम बढ़ने से गृहणियों का रसोई बजट बिगड़ गया है। इससे लोगों की थाली का स्वाद भी बिगड़ने लगा है। महंगाई में गृहस्थी की गाड़ी चलाना गृहणियों के लिए अब चुनौतिपूर्ण साबित हो रहा है। महंगाई का असर सबसे ज्यादा निम्न व मध्यमवर्गीय परिवारों पर पड़ा है।

आटा व चावल की कीमतों में हुई बेतहाशा बढ़ोतरी : महंगाई की सबसे ज्यादा मार आटा व चावल पर पड़ी है। खाद्य व्यवसायियों की मानें तो आटा व चावल के दामों में 10 से 15 प्रतिशत तक तेजी आ गई है। थोक व्यवसायियों ने बताया कि बासमती चावल की कीमत में 1500 रुपये, उसना चावल में 600 रुपये व अरहर दाल की कीमत में 1000 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है। वहीं अब रिफाइन व सरसों तेल के दाम में कमी आई है।
जीएसटी वसूलते सभी बिल देता ना कोई : महंगाई के बीच दुकानदार भी आम जनता से जीएसटी का रोना रो कर उनसे मनमानी कर वसूल रहे हैं। जीएसटी के लिए जिस सामग्री पर पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है उस पर दुकानदार अपने हिसाब से कर तय कर खाद्य सामग्री का दर तय कर रहे हैं। वहीं शहर के लगभग सभी बड़े दुकानदार जीएसटी वसूल रहे हैं लेकिन ग्राहकों को शायद ही कोई बिल दे रहा है।
कहते हैं आम लोग :
दैनिक प्रयोग में आने वाली वस्तुओं के दामों में वृद्धि बनी हुई है। यदि ऐसे ही महंगाई बढ़ती रही तो जनता के सामने भारी संकट आने से कोई रोक नहीं पाएगा। हालांकि पहले के अनुपात में सरसो तेल व रिफाइन की कीमतों में कुछ कमी हुई है।
प्रमोद कुमार
महंगाई की मार से आमलोगों का जीवन बेपटरी हो गया है। महंगाई का सभी वर्गों पर असर पड़ रहा है। खासकर मध्यम वर्ग के लोग ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। गैस, सब्जी समेत राशन के सामानों की कीमत पर कोई कंट्रोल नहीं है। इससे रसोई घर का बजट गड़बड़ाने लगा है।
शालिनी गुप्ता
पिछले एक साल में महंगाई चरम पर है। किचन का बजट बिगड़ गया है। खाद्य सामग्री की कीमत में दोगुना इजाफा हो गया है। इससे काफी परेशानी हो रही है। यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि किचन के बढ़ते बजट को कहां एडजस्ट किया जाए।
प्रीति गुप्ता, गृहणी
खाद्य सामग्रियों की कीमतों में आई तेजी के कारण बजट पूरी तरह से लड़खड़ा गया है। चावल, खाद्य तेल, दाल, चीनी, आटा के अलावा हरी सब्जियों के भी भाव बढ़ गए हैं। सरकार को चाहिए कि महंगाई पर कंट्रोल करें।
ज्योति सिंह, गृहणी
खाद्यान के भाव पर एक नजर :
खाद्यान्न पिछले वर्ष वर्तमान समय में
आटा 22 32
चावल 35-40 45-50
रिफाइन तेल 160 150
सरसो तेल 180 160
अरहर दाल 90 110
चना 60-65 70
चना दाल 65 से 68 70 से 75
सोयाबीन 130 100
मटर 90 70
चीनी 40 42
राजमा 100 120
मूंग दाल 100 110-115
उड़द दाल 100 110
चायपती 200 260
चिउड़ा 30 50
बादाम 90 120
सूजी 30 35
मैदा 26 35
बेसन 70 80
नमक 18 24
नोट : आंकड़े पिछले वर्ष अगस्त 2021 और इस वर्ष अगस्त माह की तुलनात्मक

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