फिलहाल मलेरियामुक्त बन गया है जिला

संस, सहरसा: कोसी प्रभावित सहरसा जिला कुछ वर्ष पूर्व तक कालाजार व मलेरिया का सघन इलाका माना जाता है, परंतु विगत वर्षों में स्वास्थ्य विभाग के प्रयास से इसमें कमी आई है। हालांकि इस बीच मलेरिया, कालाजार और फाइलेरिया की जांच में भी कमी आई है। बावजूद इसके साफ-सफाई पर ध्यान दिए जाने और लोगों में आई जागरूकता के कारण मरीजों की संख्या में लगातार कमी आने लगी है।

कुछ वर्ष पूर्व तक मलेरेयिा और कालाजार के कारण हर दिन जनाजा उठता था। पटुआहा, कठडुमर, दिवारी, सुलिदबाद, बिसनपुर आदि में कालाजार और मलेरिया से सैकड़ों की मौत हुई। अब मौत का सिलसिला पूरी तरह थम गया है।

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इस वर्ष मिले सभी सात कालाजार मरीज हुए स्वस्थ
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चालू वर्ष में जिले में कालाजार की जांच के दौरान पूरे जिले में सात मरीज मिले, इन मरीजों का इलाज किया गया। वर्तमान में यह सभी स्वस्थ हो गए हैं। फिलहाल जिले में एक भी कालाजार का मरीज नहीं है। इस वर्ष जुलाई माह तक मलेरिया के 429 लोगों की जांच हुई, परंतु इसमें एक भी पाजीटिव मरीज नहीं मिला। जिले में मलेरिया व कालाजार के सघन क्षेत्र में दो लाख 53 हजार सात सौ घरों में छिड़काव की योजना बनाई गई। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक प्रथम चरण में इसका 98 फीसद लक्ष्य पूरा कर लिया गया है। दूसरे चरण का छिड्काव भी शीघ्र किया जाएगा।
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हर महीने 15 लाख रुपये के मच्छरबत्तियों का हो रहा धंधा
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जिले में एक अनुमान के मुताबिक मच्छर भगाने के उपकरणों, मच्छर बत्तियों आदि का लगभग 15 लाख का व्यवसाय हो रहा है। इसमें सबसे अधिक उपयोग शहरी क्षेत्र में किया जा रहा है। शहरी क्षेत्र में वर्षों से मच्छरनिरोधी छिड़काव नहीं होने और सालोंभर जलजमाव की समस्या के कारण मच्छरों के प्रकोप से लोग परेशान रहते हैं। इसलिए किराना दुकान से लेकर पान की दुकानों तक मच्छरबत्तियों की बिक्री होती है।
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घर के बजट का एक हिस्सा है मच्छर भगानेवाली अगरबत्ती
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गृहणियों का कहना है कि पहले किसी खास मौसम में मच्छर पाया जाता था, परंतु अब सालोभर लोग मच्छरों से परेशान रहते हैं। ऐसे में मच्छरबत्तियां परिवार के बजट का एक हिस्सा बन गया है।
नया बाजार की प्रीति कुमारी कहती है कि घर के सामान की सूची बनाने के साथ वे लोग अनिवार्य रूप से मोर्टिन् क्वाइल को शामिल करते हैं। इसके बिना नींद की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
गंगजला की रूपम देवी कहती है कि अब रात में ही नहीं दिन में भी मच्छरबत्तियों के बिना घर में रहना कठिन हो गया है। इसलिए इसका खर्च भी बढ़ता जा रहा है। कायस्थ टोला की अर्चना सिंह कहती है कि मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती आवश्यक आवश्यकताओं में शामिल हो गया है।

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