मलेरिया पर लगा अंकुश, फाइलेरिया में आई कमी

संवाद सहयोगी, लखीसराय : पांच वर्ष पूर्व तक मच्छर जनित बीमारी मलेरिया एवं फाइलेरिया का जिले में कहर जारी था। दर्जनों लोग मलेरिया एवं सैकड़ों लोग फाइलेरिया से ग्रस्त थे। मलेरिया से लोगों की जान भी जाती रही है। खासकर सूर्यगढ़ा प्रखंड के कजरा क्षेत्र के जंगली-पहाड़ी गांवों की स्थिति भयावह थी। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसके विरुद्ध अभियान शुरू किया गया। इसके बाद लोगों में जागरूकता आई। इस कारण विगत दो वर्षों से मलेरिया एवं फाइलेरिया के मरीजों में काफी कमी आई है। वर्तमान समय में मलेरिया पर पूरी तरह अंकुश लग गया है जबकि फाइलेरिया के मरीजों में कमी आई है। जिले में मलेरिया के मात्र एक मरीज हैं, वहीं फाइलेरिया के 1,172 मरीज हैं। लखीसराय प्रखंड में 350 एवं सूर्यगढ़ा प्रखंड में 362 फाइलेरिया के मरीज हैं।


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मलेरिया व फाइलेरिया होने के कारण व रोकथाम के उपाय
मलेरिया संक्रमित मादा एनोफिलिज मच्छर के काटने से मलेरिया होता है। जबकि मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फाइलेरिया होता है। जिस गांव में पांच या उससे अधिक मलेरिया के मरीज मिलते हैं स्वास्थ्य विभाग द्वारा वहां सिनथेटिक पायरेथरम का छिड़काव कराया जाता है। प्रत्येक तीन सदस्य के परिवार पर एक-एक मच्छरदानी दिया जाता है। फाइलेरिया से बचाव को लेकर सरकार द्वारा प्रतिवर्ष घर-घर जाकर लोगों को उम्र के हिसाब से डीईसी एवं एलवेंडाजोल दवा खिलाई जा रही है।
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लोगों की जागरूकता के कारण जिले में मलेरिया पर अंकुश लग गया है। जबकि फाइलेरिया रोगियों में भी कमी आई है। पांच वर्ष तक डीईसी एवं एलवेंडाजोल दवा का सेवन करने पर लोग फाइलेरिया से मुक्त हो जाए्गे। लोगों को अपने आस-पास सफाई रखना जरूरी है। पूरी बांह का कपड़ा पहनना एवं मच्छरदानी का नियमित उपयोग करना चहिए। आस-पासजल-जमाव नहीं होने देना चाहिए।
डा. डीके चौधरी, सिविल सर्जन, लखीसराय।

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