गोभी ने किसानों को दिखाई समृद्धि की राह

-परंपरागत खेती से हटकर हो रही है खेती, खेतों में लग गई है गोभी की फसल

-70 हजार के खर्च पर किसानों को इस फसल से हो रही दो लाख की आमदनी ---------------------------------------- संवाद सूत्र, लौकहा बाजार (सुपौल) : हाल के वर्षों में जिले में किसानी का ट्रेंड बदल चुका है। किसान परंपरा से हटकर खेती करने लगे हैं। सदर प्रखंड के कुछ क्षेत्र में किसान अगता गोभी की खेती करते हैं। खेतों में फसल लगा दी गई। इस खेती ने किसानों को समृद्धि की राह दिखाई है। दुर्गा पूजा के बाद से फसल कटने लगती है। पिछले साल खेत में किसानों को इसकी कीमत एक सौ रुपये किलो मिली थी। किसानों की माने तो इसमें मेहनत और खर्च अधिक है। किसान कहते हैं कि इन सबके बावजूद अच्छी कीमत मिल जाती है तो मन खुश हो जाता है। गोभी काटने के बाद किसान गेहूं की खेती भी आराम से कर लेते हैं, या फिर गोभी की ही दूसरी फसल लगाते हैं।

सदर प्रखंड अंतर्गत अमहा, हरदी पूरब चौघारा, लक्षि्मनियां, हरदी पश्चिम के तिलाबे नदी के किनारे बहियार में बलुआही जमीन पर गोभी की अगता खेती की जा रही है। इस इलाके में सभी किस्म की गोभी की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। शुरुआत केतकी (कार्तिक महीने में तैयार होने वाली) गोभी से होती है। इसकी रोपाई जुलाई अंतिम से अगस्त के पहले सप्ताह तक में कर ली जाती है जो किसानों ने कर ली है। किसान बताते हैं कि अबकी बार बारिश कम होने से सिचाई अधिक करनी पड़ रही है। किसान पांडव यादव, गुडलक मंडल, अजय मेहता, संतोष मेहता, शंकर मंडल, रूपेश कुमार, कुलदीप यादव, कार्तिक मेहता, प्रदीप मेहता, अगमलाल मेहता, धरमलाल मेहता, कपल शर्मा आदि बताते हैं कि प्रति एकड़ गोभी तैयार करने में लगभग 70 हजार से अधिक रुपये खर्च हो जाते हैं। फसल तैयार होने के बाद लगभग दो लाख तक में एक एकड़ की बिक्री हो जाती है। यह अलग बात है कि फसल तैयार करने में किसानों को दिन-रात अधिक मेहनत करना पड़ता है। फिलहाल किसान खाद और यूरिया की भी किल्लत से जूझ रहे हैं। किसानों ने बताया कि अगर किसान परंपरागत खेती से हटकर इस तरह की खेती पर जोर दे तो निश्चित रूप से समृद्ध हो सकते हैं। यहां जिन किसानों को अपनी भूमि नहीं है वह दूसरे व्यक्ति से लीज पर जमीन लेकर सब्जी की खेती करते हैं।

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