कर्णपुर में घर-घर पहुंचे बनवारी, लोग हुए पीतांबरधारी

जागरण संवाददाता, सुपौल : मथुरा और वृंदावन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम इसलिए भी रहती है कि ये लीलाधारी भगवान श्रीकृष्ण की जन्म व कर्म स्थली रही। इधर जिले के कर्णपुर गांव का नजारा भी वहां से विलग नहीं होता है। लगता है जैसे बनवारी यहां घर-घर पहुंचे हों और लोग उनके स्वागत में पीतांबरधारी बन गए हों। शनिवार की सुबह इस गांव में मंदिरों की ओर जाते अधिकांश पुरुष लाल और पीली धोती में नजर आए। हाथ में माखन भरा मिट्टी का कटोरा और बांस की वंशी लिए हर कदम श्रीकृष्ण मंदिर की ओर बढ़ रहे थे।

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दही और फल से होती है पूजा
यहां नए बर्तन में जमाए गए दही और फल से भगवान की पूजा होती है। लोग बांस की बनी वंशी मुरलीधर श्रीकृष्ण को चढ़ाते हैं। मनौती रहने पर लोग सोने-चांदी की वंशी भी नटवर नागर को अर्पित करते हैं।
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दो स्थानों पर होती है प्रतिमा स्थापित
लोगों की आस्था इतनी अधिक है कि इस गांव में दो स्थानों पर प्रतिमा स्थापित कर भगवान गिरधारी की पूजा-अर्चना की जाती है। महोत्सव सा माहौल रहता है। गांव के जो लोग रोजी-रोजगार के लिए बाहर रहते हैं वे इस पर्व में घर जरूर आते हैं। इतना ही नहीं यहां के निवासियों के सगे-संबंधी भी इसमें शामिल होते हैं। इस दौरान इस गांव में शायद ही ऐसा कोई दरवाजा होगा जिसपर दो-चार मेहमान नजर नहीं आए। आतिथ्य सत्कार भी जमकर की जाती है। नहीं आने वालों को ताने-उलाहने भी दिए जाते हैं। विसर्जन भी परंपरागत तरीके से काफी धूमधाम से किया जाता है और भगवान को विदाई देते वक्त पूरा गांव कृष्ण मंदिर में उमड़ पड़ता है। उत्सव का यह माहौल भगवान के छठिहार तक रहता है। यहां आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने वालों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो इसका ख्याल पूजा समितियों के अलावा ग्रामीण भी रखते हैं।

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