मखाना को मिला ‘मिथिला मखाना’ के नाम से जीआई टैग

मखाना को मिला ‘मिथिला मखाना’ के नाम से जीआई टैग

दरभंगा । मिथिलांचल के किसानों के सपनों को उड़ान देने में अहम मखाना को आखिरकार भारत सरकार की ओर से जीआई टैग मिल गया। जीई टैग मिथिला मखाना के नाम से मिला है। भारत सरकार के वाणिज्य व उद्योग मंत्री पियूष गोयल ने शनिवार की देर शाम इस बात की जानकारी अपने ट्विटर हैंडल के माध्यम से दी। इसी के साथ इलाके में खुशी की लहर है। लंबे समय से मिथिला के लोग मखाना की जीआई टैगिंग मिथिला मखाना के नाम से करने की मांग कर रहे थे। बीच में बिहार मखाना के नाम के प्रस्ताव पर लोगों ने कड़ी आपत्ति जताई थी। स्थानीय सांसद गोपालजी ठाकुर ने मंत्री से मिलकर इस मामले पर बात की थी। इसके बाद लंबा संघर्ष चला। इस बीच मंत्री द्वारा दी गई सूचना के बाद लोगों में खुशी की लहर है। सांसद ने इसके लिए मंत्री का आभार जताया है। कहा कि मिथिला के विकास के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है। इस फैसले से मखाना को उसकी वास्तविक पहचान मिली है। बता दें कि मिथिला का मखाना किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ रोजगार उपलब्ध करा रहा है। देश से लेकर विदेश तक के बाजार में इसकी मांग है। इसकी प्रोसेसिंग और विभिन्न तरह के उत्पाद बनाने के लिए कई औद्योगिक इकाइयां लगी हैं। इसका लाभ किसानों से लेकर उद्यमियों को मिल रहा है। देश में मखाना के कुल उत्पादन में 90 प्रतिशत हिस्सेदारी बिहार की है। उसमें से 25 प्रतिशत उत्पादन अकेले दरभंगा में होता है। यहां करीब पांच हजार हेक्टेयर में मखाना की खेती होती है। तकरीबन 16 हजार किसान जुड़े हुए हैं। सालाना 7500 टन उत्पादन होता है। जब मखाना को बिहार मखाना के नाम से जीआई टैग मिलने की बात कही गई थी तब स्थानीय स्तर पर समाजसेवी संजय सिंह उर्फ पप्पू सिंह ने भी आंदोलन की घोषणा की थी। इंटरनेट मीडिया पर भी जबरदस्त अभियान चला था। आनलाइन माध्यम से दुनियाभर में बिक्री मखाना उत्पादन को बढ़ावा देने में जिले में 16 औद्योगिक इकाइयां चल रही हैं। तीन उद्यमियों ने अपनी वेबसाइट बनाई है। इसके जरिये दुनियाभर के लोग मखाना खरीद रहे हैं। अमेजन व फ्लिपकार्ट के जरिये भी इसकी बिक्री हो रही है। मखाना बिस्किट, मिठाई, बच्चों की पसंद की चीजें, आटा, फ्लेवर्ड मखाना तैयार किया जा रहा है। इसकी डिमांड आ रही है। अबतक यूएस, यूके, आस्ट्रेलिया व बांग्लादेश के अलावा पाकिस्तान से भी दरभंगा के मखाना की डिमांड है। एक हजार टन मखाना दुनिया के अलग-अलग देशों में जाता है। दरभंगा के अकेले गुलोबारा बाजार में दो हजार टन मखाना का सालाना कारोबार हो रहा है।

अन्य समाचार