किसान नहीं उठा पा रहे हैं डीजल अनुदान का लाभ

जागरण संवाददाता, सुपौल: खरीफ फसल के पटवन हेतु सरकार ने किसानों को डीजल पर अनुदान देने की घोषणा की ताकि किसान खरीफ में शामिल धान, सब्जी, मक्का आदि फसलों को बचा सकें। परंतु जिले में विभागीय उदासीनता और जागरूकता के अभाव में इसका लाभ किसान नहीं उठा पा रहे हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लाखों की आबादी वाले कृषि प्रधान इस जिले में अब तक मात्र 2346 किसानों ने आवेदन किए हैं। इनमें से 1763 आवेदनों की जांच विभागीय स्तर पर पूरी कर ली गई है । जबकि 563 आवेदन जांच को लंबित है। हालांकि सुकून देने वाली बात है कि जिन किसानों के आवेदन की जांच पूरी कर ली गई है इनमें से 751 किसानों को अनुदान की राशि उनके खाते में दी जा चुकी है । लेकिन कृषि प्रधान जिला होने के बावजूद अब तक महज 2346 किसानों का आवेदन होना कई सवालों को खड़ा करता है। जबकि जिले में पंजीकृत किसानों की संख्या 3 लाख से भी अधिक है । दरअसल डीजल अनुदान लेने को लेकर सरकार द्वारा जो प्रक्रिया तय की गई है उसे पूरा कर पाना किसानों के बूते से बाहर हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर जागरूकता के अभाव में भी किसान इस योजना का लाभ लेने से वंचित हो जा रहे हैं । इसमें भी तब जब सुपौल क्षेत्र कृषि प्रधान क्षेत्र होने के कारण 70 फीसद छोटे जोत के किसानों का घर का खर्च इन्हीं फसलों पर चलता है। इसके अलावा अन्य कार्य बच्चों की पढ़ाई, शादी, विवाह का सारा दारोमदार फसल पर ही निर्भर करता है। किसानों की अधिक आबादी रहने के बाद भी यहां सरकारी सिचाई व्यवस्था चरमराई हुई है । खरीफ के मौसम में मानसून की दगाबाजी से किसान हताश और निराश बने हुए हैं। जिसे कम करने को लेकर सरकार द्वारा घोषित डीजल अनुदान भी इनके दुख को कम नहीं कर पा रहा है.।


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प्रक्रिया में बदलाव भी कारण
दरअसल इस बार सरकार ने डीजल अनुदान पाने की प्रक्रिया में बदलाव किया है । इससे पहले जहां इसका लाभ लेने के लिए किसानों को कैश मेमो लिया जाता था वहीं इस बार किसान पंजीयन नंबर के साथ कंप्यूटराइज्ड बिल कर दिया गया है । इससे कई किसान डीजल खरीद किए जाने के बाद भी जागरूकता के अभाव में कंप्यूटराइज्ड बिल नहीं ले पाते हैं । दूसरी तरफ सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले किसान पेट्रोल पंप की बजाय आसपास के चौक चौराहे पर ही डीजल की खरीद कर लेते हैं। हालांकि यहां उन्हें पंप से अधिक कीमत भी देनी पड़ती है। बावजूद समय का बचाव और किसानी कार्य से फुर्सत नहीं मिलने के कारण वे ऐसे दुकान से डीजल खरीद लेते हैं। जहां उन्हें कंप्यूटराइज्ड बिल मिलना संभव नहीं हो पाता है। परिणाम है कि ऐसे किसान आवेदन करने के लिए अपात्र लाभुकों की श्रेणी में आ जाते हैं। इसके उलट विभागीय अधिकारी व कर्मी आवेदन करने के बाद भी उन्हें समय से निष्पादित नहीं कर पा रहे हैं। परिणाम है कि किसान दोहरी मार झेलने को विवश हैं।
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कोट- कुछ तकनीकी खराबी के कारण आवेदन निष्पादन कार्य में देरी हुई है । अब जब सब कुछ ठीक हो गया है तो निष्पादन कार्य में तेजी लाने को कहा गया है। जल्द ही सही पाए गए आवेदन वाले किसानों को अनुदान की राशि प्राप्त हो जाएगी ।
-अजीत कुमार यादव
जिला कृषि पदाधिकारी

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