बिहिया के महुआंव नहर में इस साल भी एक बूंद नहीं आया पानी

बिहिया के महुआंव नहर में इस साल भी एक बूंद नहीं आया पानी

- टेल एंड में पानी नहीं आने से मारी जा रही खेती, इस बार प्रकृति ने भी दिया दगा
संवाद सूत्र, बिहिया : प्रखंड क्षेत्र के नहरों के टेल एंड तक पानी नहीं पहुंच रहा है। प्रखंड में खेती के लिए महत्वूर्ण महुआंव नहर के टेल एंड में इस साल भी एक बूंद पानी नहीं आया। इस साल बारिश कम होने से किसान पूरी तरह से नहर पर आश्रित हैं। ऐसे में इस नहर से जुड़े क्षेत्रों में पानी के लिए प्रकृति की मार झेल रहे किसान परेशान हैं। नहर में झाड़ियां उग आई हैं।रख रखाव के अभाव में नहर के दोनों ओर के बैंक कटते जा रहे हैं।

इस साल जैसे तैसे किसानों ने बिजली व डीजल पंप चला कर धान की रोपाई की। अब पंप भी जवाब देने लगे हैं। अपनी गाढ़ी कमाई कृषि कार्य में झोंक देने के बाद किसान अब धान का पौधा बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। किसानों को एक बार फिर नहर की याद सता रही है। बिहिया प्रखंड में विभिन्न गांवों के समीप पांच जगहों पर नहर का टेल एंड है। 1985 में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले महुआंव गांव निवासी बिंदेश्वरी दुबे जब मुख्यमंत्री बने, तब पानी लाने के लिए विशेष प्रयास हुए।अब तो विगत 25 वर्षों से किसान किसी तरह संघर्ष कर खेती करने को विवश हैं।
कहते हैं किसान
भड़सरा निवासी रामशब्द सिंह ने बताया कि उनके पिता गोरख सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री स्व.बिंदेश्वरी दुबे जी को आवेदन देकर टेल एंड तक पानी पहुंचाने की मांग की थी। तब बिहार के सिंचाई मंत्री रामाश्रय प्रसाद सिंह थे।तत्काल एक्शन हुआ और टेल तक पानी पहुंचते देर न लगी।
महुआव गांव निवासी विजय दुबे कहते हैं कि अंग्रेजों ने नहर के महत्व समझते हुए इसका जाल बिछा दिया, पर वर्तमान की सरकारें सिंचाई के इस परंपरागत साधन को व्यवस्थित नहीं रख पा रही है।
ओसियर यादव का कहना है कि धान बचाने की जंग में आज अपने गांव के बिंदेश्वरी बाबा की याद आ रही है। जब उनके एक आदेश पर अधिकारी टेल एंड तक पानी पहुंचाने के लिए तत्पर हो गए थे।
किसान राम भजन सिंह का कहना है कि सिंचाई के इस परंपरागत और महत्वपूर्ण साधन के प्रति सरकारी उपेक्षा समझ में नहीं आती। नहर अब सिंचाई का साधन न रह कर समय-समय पर जीर्णोद्धार के नाम पर लूट का जरिया बन गया है।

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