जच्चा-बच्चा की मौत के मामले में डीएम का आदेश बेअसर, नहीं हुई कार्रवाई

संवाद सहयोगी, लखीसराय : स्थानीय निजी क्लीनिक बालाजी सेवा सदन में विगत 12 जुलाई को सिजेरियन प्रसव करने के बाद जच्चा-बच्चा की मौत मामले में विभाग पर्दा डालने पर लगा हुआ है। चूंकि सदर अस्पताल में सिजेरियन प्रसव नहीं करने के कारण ही प्रसव पीड़िता उक्त अस्पताल गई थी जां उसकी मौत हो गई। विभाग खुद के बचाव को लेकर कार्रवाई करने से परहेज कर रहा है। जबकि 10 दिन पूर्व ही डीएम ने सख्ती के साथ कार्रवाई करने का आदेश दिया है। जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह ने सिविल सर्जन डा. डीके चौधरी को बालाजी सेवा सदन के विरुद्ध मामला दर्ज कराते हुए सदर अस्पताल की डा. संगीता राय एवं जीएनएम अंजु कुमारी, नीली कुमारी एवं अपर्णा सिन्हा के विरुद्ध आरोप पत्र गठित करते हुए कृत कार्रवाई से उन्हें अवगत कराने का आदेश दिया है। आश्चर्य की बात है कि डीएम के आदेश के 10 दिन बाद भी सिविल सर्जन ने कोई कार्रवाई नहीं की है। विदित हो कि विगत 12 जुलाई 22 को खिरो गांव के अनिल साव की पत्नी मनी देवी को प्रसव के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन वहां सिजेरियन प्रसव नहीं किया गया। स्वजन थक-हार कर उसे निजी क्लीनिक बालाजी सेवा सदन ले गए जहां जच्चा-बच्चा की मौत हो गई। डीएम ने माना कि सदर अस्पताल में डाक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा प्रसव पीड़िता का इलाज नहीं किया जाना ही जच्चा और बच्चा की मौत का कारण है। डीएम के आदेश पर सीएस अस्पताल के उपाधीक्षक को कार्रवाई के लिए पत्र लिखकर अपनी ड्यूटी पूरी कर ली। उधर अस्पताल के उपाधीक्षक डा. राकेश कुमार का तर्क है कि सिविल सर्जन ही सदर अस्पताल के अधीक्षक हैं। इसलिए सदर अस्पताल के चिकित्सक एवं जीएनएम के विरुद्ध सिविल सर्जन ही आरोप पत्र गठित कर सकते हैं। निजी नर्सिंग होम बालाजी सेवा सदन के विरुद्ध भी सिविल सर्जन ही मामला दर्ज करा सकते हैं। उन्हें इसका अधिकार नहीं है। इधर सिविल सर्जन डा. डीके चौधरी की मानें तो सदर अस्पताल के उपाधीक्षक को वे उक्त कार्रवाई करने का आदेश दिए हैं। इसलिए वे कार्रवाई करने के लिए अधिकृत हैं।


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