तीज की तैयारी तेज, डलिया की मांग को देखते हुए निर्माण में जुटे कारीगर

तीज की तैयारी तेज, डलिया की मांग को देखते हुए निर्माण में जुटे कारीगर

बगहा। नागपंचमी के बाद सनातनियों के त्योहारों की शुरूआत हो जाती है। यथा रक्षाबंधन, जन्माष्टमी से लेकर तीज आदि तमाम पर्व-त्योहारों का मौसम आ गया है। रक्षाबंधन के बाद अब तीज, चौठचंद्र और गणेश चतुर्थी का पर्व सामने है। तीज 30 अगस्त को मनाया जाएगा। इसमें बहुत कम समय बच गया है। इस त्योहार में पूजा के लिए बांस निर्मित डलिया का उपयोग करने की परंपरा चली आ रही है। इस कारण बाजार में इसकी जबरदस्त मांग रहती है। कई इलाकों में इस पेसा से जुडें लोगों द्वारा डलिया का निर्माण तेजी से हो रहा है। पिछले साल सबसे छोटे आकार की एक डलिया 20 से 30 रुपये में बिकी थी। इस बार इनकी कीमत 30 से 40 रुपये हो गई है। बनाने वालों का कहना है कि पिछले साल 100 रुपये में मिलने वाले बांस की कीमत इस साल 200 रुपये हो गया है। डलिया कारीगर नरेश बांसफोड़ ने बताया कि विगत दो वर्षों में कोविड के प्रभाव से बिक्री में गिरावट आ गई थी। इस बार अच्छा बिक्री की संभावना है। जिसको लेकर एक सप्ताह पहले से बांस जुटाने से लेकर उसकी फट्ठी बनाने में पूरा परिवार जुट गया है। विगत वर्ष की अपेक्षा इस बार 25 से 30 हजार डलियां बिकने की संभावना है। नरेश ने बताया कि वाल्मीकिनगर से लेकर चौतरवा परसौनी व रामनगर तक उनके रिश्तेदार डलिया बनाने में व्यस्त हैं। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों से बांस लाने में खर्च अधिक लग गया है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र से भी बहुत से लोग यहीं आकर खरीदारी करते हैं। तीज सुहागिनों के लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहार मना जाता है। पति की लंबी आयु व स्वस्थ जीवन के साथ पारिवारिक जीवन में सामंजस्य बनाए रखने के लिए महिलाएं भगवान शिव व पार्वती की पूजा करती हैं। गृहस्थ जीवन के लिए तीज सबसे महत्वपूर्ण त्योहार माना गया है। सुनीता देवी, व्रती विवाह के बाद हर महिला के लिए तीज व्रत आवश्यक माना गया है। पति की लंबी आयु के साथ पारिवारिक खुशहाली व सुहाग की लंबी उमर के लिए यह कठिन व्रत किया जाता है। हर गृहिणी अपने पति की लंबी आयु के लिए भीषण गर्मी में बिना अन्न पानी के 24 घंटों का निर्जला व्रत करती है। रंजना देवी, व्रती
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