पीएचडी प्रभावी रजिस्ट्रेशन तिथि में अपनाया गया दोहरा पैमाना

पीएचडी प्रभावी रजिस्ट्रेशन तिथि में अपनाया गया दोहरा पैमाना

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रभावी रजिस्ट्रेशन तिथि जारी करने में दोहरा पैमाना अपनाए जाने का मामला सामने आया है। पीआरटी- 2012 के कुछ शोधार्थियों का विश्वविद्यालय प्रशासन के तथाकथित कथन कोर्ट के आदेशानुसार प्रभावी रजिस्ट्रेशन तिथि जारी किया गया है, उसमें कुछ शोधार्थियों को प्रभावी रजिस्ट्रेशन तिथि 21 मार्च 2021, 22 मार्च 2021 एवं 23 मार्च 2021 दिया गया है। वहीं पीआरटी-2009,2010,2011 एवं 2012 के कुछ शोधार्थियों का पुराना प्रभावी रजिस्ट्रेशन तिथि तीन दिसंबर 2013, 4 दिसंबर 2013 को वैलिड मानते हुए अवधि विस्तार 26 अप्रैल 22 से 25 अप्रैल 2024 तक कर दिया गया है। जबकि पीआरटी-2009,2010,2011 एवं 2012 के दो सौ से अधिक शोधार्थी अब तक अपने-अपने रजिस्ट्रेशन के लिए विवि पीएचडी शाखा का दौर लगा रहे हैं। इन्हें यह कहकर लौटाया जा रहा है कि अधिनियम के अनुसार अधिकतम सात वर्ष का समय बीत गया है। इसलिए अब रजिस्ट्रेशन और समय विस्तार का सवाल ही नहीं होता है। अगर उतने अभ्यर्थियों का लौटा दिया गया तो फिर किस आधार पर पीआरटी-2011 के कुछ शोधार्थियों का पुराना प्रभावी रजिस्ट्रेशन तिथि तीन दिसंबर 2013, 4 दिसंबर 2013 को वैलिड मानते हुए अवधि विस्तार 26 अप्रैल 22 से 25 अप्रैल 2024 तक दिया गया। आखिर किस नियम के तहत 10 वर्षों के बाद एक साथ रजिस्ट्रेशन एवं समय विस्तार शुल्क जमा कराया गया है। बता दें कि बता दें कि राजनीति विज्ञान विषय के पीआरटी-2012 के शोधार्थियों का न्यायालय में केस के कारण पीजीआरसी की तिथि 23 मार्च 2021 को रजिस्ट्रेशन की प्रभावी तिथि माना गया है। शिक्षा शास्त्र विषय के पीआरटी-2012 का नामांकन न्यायालय के आदेश से फरवरी 2019 में हुआ था। इसके अतिरिक्त सभी विषयों के शोधार्थी का नामांकन के तिथि को ही रजिस्ट्रेशन की प्रभावी तिथि मनी गई है। इसके बाद भी पीआरटी-2009,2010,2011 एवं 2012 के कुछ विषयों के रसूख रखने वाले शोधार्थियों का वर्ष 2024 तक अवधि विस्तार कर दिया गया है। बता दें कि पीएचडी शाखा में वर्षों से गड़बड़ी हो रही थी। इन दिनों विवि प्रशासन के सख्ती के बाद सुधार की उम्मीद जगी है। लनामिवि दरभंगा के कुलसचिव प्रो. मुश्ताक अहमद ने कहा कि किसी भी तरह की अनियमितता संबंधित शिकायतों की जांच में दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। संबंधित मामले को लेकर संचिकाएं मंगाई जाएंगी। जांच के बाद ही सच्चाई उजागर हो सकती है। बिना रजिस्ट्रेशन बढ़ा दिया समय पीआरटी 2011 उत्तीर्ण शोधार्थी मनोविज्ञान विषय के एक शोधार्थी को बिना रजिस्ट्रेशन के ही समय अवधि का विस्तार देने का मामला उजागर हुआ है। वह भी 12 वर्षों के लिए। जबकि अधिनियम कहता है कि गवेषणा परिषद की स्वीकृति के बाद शोधार्थी को दो हजार शुल्क जमा करने के लिए पत्र जाएगा। पत्र के आलोक में शोधार्थी पंजीयन शुल्क जमा करेगा। रेगुलेशन अनुसार अधिकतम चार वर्ष एवं दो वर्ष के अवधि विस्तार के साथ अधिकतम सात वर्ष में शोध प्रबंध जमा कर देना चाहिए था। मनोविज्ञान की इस शोधार्थी ने 2011 में पीआरटी उत्तीर्ण किया था। उसे गवेषणा परिषद की स्वीकृति के आलोक दो हजार जमा करने के लिए 15 फरवरी 2014 को विश्वविद्यालय ने पत्र जारी किया था। इसमें उसकी प्रभावी रजिस्ट्रेशन तिथि तीन दिसंबर 2013 दर्शाई गई थी। यदि शोधार्थी ने शुल्क जमा कर दिया होता तो उसे दो दिसंबर 2017 तक चार वर्ष की अवधि में अपना शोध प्रबंध जमा करना था। अधिनियम के अनुसार यदि उसे समय विस्तार भी मिलता तो एक दिसंबर 2019 को उसके साथ वर्ष की अधिकतम अवधि बीत गई थी। शोधार्थी का प्रभावी रजिस्ट्रेशन तिथि तीन दिसंबर 2013 है लेकिन अवधि विस्तार 26 अप्रैल 22 से 25 अप्रैल 2024 तक दिया गया है। अर्थात 12 साल में वह अपना शोध प्रबंध जमा करेगी। ----------------------------------

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