दो जर्जर कमरों में दो स्कूल, पांच कक्षाओं में पढ़ते 425 विद्यार्थी

दो जर्जर कमरों में दो स्कूल, पांच कक्षाओं में पढ़ते 425 विद्यार्थी

सीतामढ़ी । सरकारी विद्यालय का नाम आते ही जेहन में टूटी -फूटी बिल्डिंग, छतों से टपकता पानी और बेहाल व्यवस्था की तस्वीर दिखने लगती है। डुमरा प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय मेहसौल उर्दू व इससे टैग दूसरे प्राथमिक विद्यालय पंचायत भवन मेहसौल गोट को देखकर यह बात बिल्कुल सटीक साबित होती है। यहां दो कमरों में दोनों विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इसमें 425 छात्र-छात्राओं को पढ़ाया जाता है। अब समझ सकते हैं, उन दो कमरों में ये बच्चे कैसे पढ़ाई करते होंगे। स्वाभाविक है भेड़-बकरियों की भांति ये बच्चे उसमें ठूंसे जाते हैं। जो बच जाते, वे बाहर बरामदे पर पढ़ाई करते हैं। इन बच्चों को पढ़ाने के लिए एक स्कूल में दो तो दूसरे स्कूल में चार शिक्षक व एक तालीमी मरकज तैनात हैं। इतनी संख्या में बच्चों के लिए दो शौचालय हैं, उनमें एक बिल्कुल काम लायक नहीं रह गया है तथा पीने के पानी के लिए लगे चापाकल से बालू आता है। ------------------- एक विद्यालय में 262 बच्चे तो दूसरे में 162 नामांकित प्राथमिक विद्यालय मेहसौल उर्दू में प्राथमिक विद्यालय पंचायत भवन मेहसौल गोट को मार्च में टैग कर दिया गया। क्योंकि, यह विद्यालय भवनहीन व भूमिहीन है। सरकार के दिशा-निर्देश के मुताबिक, ऐसे विद्यालयों को नजदीकी विद्यालय से टैग कर दिया जाना है। इसमें 262 बच्चे नामांकित हैं। जिसमे लगभग 210 बच्चों की उपस्थिति होती है। वहीं उर्दू विद्यालय में 162 बच्चे नामांकित हैं। इसमेंॉ लगभग 110 बच्चे उपस्थित रहते हैं। दो कमरों में दोनों स्कूल के बच्चे कैसे बैठते हैं, यह तस्वीर बयां कर देती है। एक कमरे में दूसरी-तीसरी तो दूसरे में चौथी-पांचवीं कक्षा के बच्चे पढ़ते हैं। जबकि, बरामदे पर पहली कक्षा के बच्चे चटाई या बोरा बिछाकर बैठते हैं। कमरे, छत सब जर्जर हालत में हैं। पढ़ाई के दौरान छत से सीमेंट टूटकर प्रायः गिरता है। इससे अफरातफरी मच जाती है। ---------------------------- हादसे की बनी रहती आशंका : स्कूल के बगल के एक जर्जर कमरे में बच्चों के लिए मिड डे मील बनता है। दूसरा कमरा कचरा घर बना है। जिला मुख्यालय से सटी पंचायत में नौनिहालों की जान जोखिम में है। प्रभारी प्रधानाध्यापक मो. अख्तर व नुसरत खातून ने बताया कि कई बार स्कूल की स्थिति के बारे में अधिकारियों को बताया जा चुका है। वर्ष 2007 में सृजन होने के साथ प्राथमिक विद्यालय पंचायत भवन मेहसौल गोट निजी मकान में संचालित हो रहा था। 2007 से मकान का किराया विद्यालय की प्रधानाध्यापिका नुसरत खातून के निजी कोष से दो हजार रुपये प्रति माह दे रही थी। एचएम नुसरत खातून 2018 में राजकीय पुरस्कार से सम्मानित हुई थीं। 11 वर्षो तक उन्होंने विद्यालय को किराये के मकान में सफलतापूर्वक संचालित किया। किराया अपने वेतन से दिया। सरकार के निर्देशानुसार भूमिहीन व भवनहीन विद्यालय को नजदीकी विद्यालय में टैग किया जाना था। इसी आधार पर डीपीओ के आदेशानुसार विद्यालय को टैग किया गया है। रही बात विद्यालय के जर्जर होने की, शौचालय व चापाकल ध्वस्त होने की तो उसके लिए प्रयास किया जा रहा है। निश्चय ही दो कमरों में इतनी संख्या में बच्चों को पढ़ाना मुश्किल काम है। पूनम कुमारी, बीईओ, डुमरा प्रखंड।

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