संसाधनों की कमी से खेलों में सामने नहीं आ रहे 'बेहतर' खिलाड़ी

संसाधनों की कमी से खेलों में सामने नहीं आ रहे 'बेहतर' खिलाड़ी

मोतिहारी । खेल का नाम सुनते ही अपने आप जुबान पर मेडल आ जाता है। इसके कारण भी है। आखिरकार कई खेल से जुड़े खिलाड़ियो ने पिछलें दिनों संपन्न राष्ट्रमंडल खेल में एक या दो गोल्ड नहीं बल्कि 22 गोल्ड सहित 61 मेडल जीतकर भारतीय प्रतिभा को गौरवान्वित किया है। मेडल जीतने पर हर भारतवासियों को गर्व होता हैं लेकिन बिहार के खेलप्रेमियों को अफसोस इस बात का रहा कि जीते गए मेडल में एक भी राज्य के खिलाड़ी का नहीं था। इस स्थिति के कई कारण होते हैं। विभिन्न खेल में अच्छे खिलाड़ियों का नहीं होना प्रमुख हैं। नियमित अभ्यास की कमी, अच्छे कोच का अभाव, सरकारी मदद नहीं होना, संसाधनों का अभाव सहित अन्य कई ऐसे कारण होते हैं जो मेडल से राज्य को दूर कर रखा हैं। जिले में कई गेम सक्रिय हैं। विभिन्न खेल संघ भी हैं जो समय-समय पर खेल आयोजनों से गेम को जिंदा जरूर रखे हुए हैं। कुछ खेल संघ तो नाम के ही है। आयोजनों से इनका कोई सरोकार नहीं। अच्छे-अच्छे गेम के महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित कर रहे हैं लेकिन कम खर्च व आसानी से होने वाले कई खेल में बेहतर खिलाड़ियों का काफी अभाव हैं।<ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>प्रमाण पत्र देने में होता <स्हृद्द-क्तञ्जस्>खेल<स्हृद्द-क्तञ्जस्>, नहीं मिलती सरकारी मदद<ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>कई नौकरियों में जिला व राज्य स्तरीय प्रमाण पत्र के आधार पर अंक मिलने का नियम होने का कुछ संघ इसका लाभ उठाते हैं। ऐसे प्रमाण पत्र के लिए रुपए लेने की बात आती हैं लेकिन इसकी शिकायत किसी भी खिलाड़ी द्वारा नहीं करने से मामला सामने नहीं आता है। जिला स्तर पर खेल आयोजन के लिए संघ को फंड जुटाने की विवशता होती हैं। कारण भी हैं किसी भी खेल संघ को आयोजन कराने के लिए सरकारी मदद नहीं मिलती। सहयोग से फंड जुटाया जाता हैं और आयोजन कराया जाता है।<ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>नाम के चलने वाले खेल संघ पर नकेल नहीं कसता जिला प्रशासन<ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>जिले में कई खेल संघ <स्हृद्द-क्तञ्जस्>नाम<स्हृद्द-क्तञ्जस्> के चल रहे हैं। ऐसे खेल संघ से जिला प्रशासन भी वाकिफ रहता हैं लेकिन खेल आयोजनों के लिए प्रशासनिक स्तर पर खोजबीन नहीं किया जाता है<ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>कई खेल में खिलाड़ी कर रहे बेहतर<ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>जिले में कई खेल से जुड़े खिलाड़ी सीमित संसाधनों के बीच काफ़ी बेहतर कर रहे हैंद्य इनमें एथलेटिक्स, फुटबॉल, तलवारबाजी, क्रिकेट, साइक्लिंग, ताइक्वांडों, ग्रेपलिंग कुश्ती, बैडमिंटन, प्रमुख है। हाल के दिनों में तलवारबाजी में मोतिहारी की केशर ने नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड जीता। पिछले दिनों ग्रेपलिंग कुश्ती के नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर प्रतिभा दिखाई। एथलेटिक्स की राज्यस्तरीय प्रतियोगिता में जिले के खिलाड़ियों ने कई मेडल जीते। साइक्लिंग में पिछले वर्ष स्टेट चैंपियनशिप में दो खिलाड़ियों ने कांस्य पदक जीता था। <ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>---<ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>खेल व खिलाड़ियों के लिए संसाधन बढ़ाए जा रहे हैं। करोड़ों की लागत से खेल भवन भी बनाया गया है। बेहतर खेलनेवाले खिलाड़ियों को जिला प्रशासन की ओर से उचित प्रोत्साहन भी दिए जा रहे हैं। मैं व्यक्तिगत तौर भी युवाओं व खिलाड़ियों की हौंसलाअफाजाई में दो कदम आगे रहता हूं।<ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>शीर्षत कपिल अशोक<ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>जिलाधिकारी, पूर्वी चम्पारण <ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>-------------

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