स्वाइन फीवर का संक्रमण रोकने में सुअर पालकों का नहीं मिला सहयोग

स्वाइन फीवर का संक्रमण रोकने में सुअर पालकों का नहीं मिला सहयोग

बेतिया । अफ्रीकन स्वाइन फीवर के संक्रमण को रोकने के लिए दो दिवसीय अभियान में सुअर पालकों का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाया। इसी वजह से 20 में से मात्र 13 सुअरों को मारकर पटना से आई टीम वापस लौट गई। टीम के जाने के साथ ही एकबार फिर सुअर खुलेआम विचरण करने लगे हैं। मंगलवार को सिकटा रेलवे स्टेशन के समीप कई सुअर दिखाई दिए। स्टेशन से उत्तर दुदानी वायल मिल के परिसर में आधा दर्जन से अधिक सुअर खुलेआम भ्रमण करते मिले, हालांकि जब पटना से टीम आई थी तो ये सुअर दिखाई नहीं दे रहे थे। ग्रामीणों का कहना है कि पालकों ने सुअरों को मारने से बचाने के लिए दो दिनों तक घर के अंदर बांध कर रखा था या फिर दूर सरेह में ले जाकर छोड़ आए थे। टीम भी पूरे दिन बस्ती में रहती नहीं थी। दो घंटे के लिए आई और जो सुअर मिले, उनको मारकर चली गई। प्रशासन की ओर से सुअर पालकों पर दबाव नहीं बनाया गया। जिसका परिणाम है कि स्वाइन फीवर के वाहक सुअर खुलेआम विचरण कर रहे हैं। सेवानिवृत्त पशु विशेषज्ञ डा. सीके शर्मा का कहना है कि इससे आम लोगों को भयभीत होने की जरूरत नहीं है। यह वायरस सिर्फ सुअर से सुअर में ही फैलता है। मानव पर इसका कोई प्रभाव नहीं होता है। नुकसान सुअर पालकों को ही है। अभी तो सरकार की ओर से मुआवजे की राशि भी मिल जाएगी, लेकिन जब सुअर वायरस से संक्रिमत होकर मरेंगे तो सरकार भी कोई सहायता नहीं करेगी। ------------------------------------------------------------ स्टेशन के समीप से सुअरों को हटाने की मांग स्थानीय सत्येन्द्र चौरसिया, नथू ठाकुर, मोहन बागान, कपिल पटेल, सतन कुमार, अजय कुमार, मनोज कुमार, मोहन प्रसाद आदि ने बताया कि धांगड़टोली, हाई स्कूल नहर चौक, बस स्टैंड आदि से पशुपालन विभाग सुअरों को खोजकर दो दिनों तक मारने का अभियान चलाया। रेलवे स्टेशन के तरफ सुअर डेरा डाले हुए हैं। ग्रामीणों ने इन सुअरों को अविलंब हटाने का मांग की है। ------------------------------------------------ सुअरों को उनके पालक के सामने ही मारना है। जबकि दो दिनों के अभियान में सुअर पालकों ने अपेक्षित सहयोग नहीं किया। सुअरों के बारे में पूछने पर नहीं बता रहे थे। फिर भी शेष सुअरों को मारने का प्रबंध किया जाएगा। -- डा. राकेश कुमार शर्मा, प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी, सिकटा।

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