मंदिर बनवाने वाले की हो जाती थी मौत, इस गांव में सोचकर भी डरते थे लोग; फिर ऐसे टूटा ये मिथक



जागरण संवाददाता, शेखपुरा। Shekhpura News: बिहार के इस गांव में जो एक खास मंदिर बनवाने की कोशिश करता, उसकी मौत हो जाती थी। गांव वाले इस डर से  मंदिर बनाने के बारे में सोचने की भी गलती नहीं करते थे। ग्रामीणों के बीच यह धारणा बन गई थी कि उनके गांव का यह मंदिर अब ऐसा ही जीर्ण-शीर्ण रह जाएगा। इसकी शुरुआत कई दशक पहले हुई। 
बिहार के शेखपुरा जिले के माउर गांव के इस मंदिर के बारे में बड़ी रहस्यमय बात प्रचलित थी। गांव के शांति भूषण बता रहे हैं कि इस मंदिर का पुनर्निर्माण करने की कोशिश करने वाला मर जाता है, ऐसी धारणा दशकों से थी। कैसे यह मिथक टूटा, यह भी बता रहे हैं वे pic.twitter.com/IEalGs5Sbw



दरअसल, यह पूरा मामला शेखपुरा जिले के बरबीघा नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत माउर गांव से जुड़ा हुआ है। इस गांव में पुराना महारानी स्थान मंदिर के निर्माण को लेकर गांव के लोगों में मिथक बना हुआ था । इस मिथक के बारे में कहा जाता था कि कोई भी इस मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करता है, तो उसकी मौत हो जाती है।



धीरे-धीरे यह बात गांव भर में फैल गई, तो कई दशकों तक मंदिर निर्माण का काम अधूरा रहा। इसी बीच गांव के नवनिर्वाचित वार्ड पार्षद ने इसके लिए पहल की तो वहां पर आज एक भव्य और आधुनिक मंदिर बना हुआ है। मंदिर की भव्यता देखने के लिए भी दूर-दूर से लोग आते हैं। वही गांव के लोगों को मंदिर आकर्षित कर रहा है। पूजा-पाठ भी होने लगा है।
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ग्रामीण शांति भूषण मुकेश बताते हैं कि इस गांव में कई दशक पहले कपिल राम नामक एक व्यक्ति के द्वारा महारानी स्थान मंदिर में निर्माण का काम शुरू किया गया। उसके बाद किसी वजह से उनकी मौत हो गई। उनकी मौत के बाद गांव में यह मिथक फैल गया कि महारानी स्थान के मंदिर के निर्माण का काम शुरू करने वालों की मौत हो जाती है। फिर कुछ दो साल पहले गांव के वार्ड पार्षद पर प्रसून कुमार भल्ला ने यहां एक मंदिर बनाने का संकल्प लिया।
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गांव वालों से इसमें सहयोग की बात कही। कई लोगों ने इस मिथक की चर्चा कर डराया भी, परंतु कुछ लोग आगे आए और वहां मंदिर का निर्माण हो गया। मंदिर के निर्माण में गांव के ही किशोरी सिंह के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग में बड़े अधिकारी ग्रामीण रवि रंजन कुमार उर्फ मुन्ना भैया का भी बड़ा योगदान रहा।
ग्रामीण क्षेत्र के इलाकों में आज भी कई तरह के मिथक होते हैं और उनको लेकर धीरे-धीरे और भी बातें बढ़ती जाती हैं। एक कान से दूसरे कान तक होते हुए जब यही मिथक कई दशकों तक रहता है तो उसको तोड़ पाना शायद ही संभव होता है परंतु कुछ लोगों के पहल से उस मिथक को तोड़ दिया गया। दरअसल, ऐसे ज्‍यादातर मिथक निराधार ही होते हैं, जो किसी एक घटना के कारण लोगों के मन में घर कर जाते हैं।

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