गोधूलि बेला में क्‍यों करना चाहिए खाने, पढ़ने व सोने से परहेज? बता रहे सुश्री कृष्णनंदनी जी, आप भी जानें



संवाद सहयोगी, लखीसराय। लखीसराय शहर के पुरानी बाजार में धर्मरायचक स्थित वार्ड नंबर सात में योगिराज समाधि बाबा के सानिध्य में श्री मद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का साप्ताहिक आयोजन किया जा रहा है। शुक्रवार को आयोजन के चौथे दिन श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर संगीतमय माहौल में भगवान श्री कृष्ण को बधाइयां दी गई। उपस्थित महिल-पुरुष श्रद्धालुओं ने जन्मोत्सव के अवसर पर झूमते हुए खुशियां मनाई।
वृंदावन से आई कथा वाचिका सुश्री किशोरी कृष्णनंदनी जी ने कहा कि गोधूलि बेला में मनुष्य को तीन काम नहीं करना चाहिए। पहला खाना नहीं चाहिए, दूसरा पढ़ना नहीं चाहिए और तीसरा सोना नहीं चाहिए। अगर ये तीनों काम करते हैं तो इसका नकारात्मक असर ही पड़ता है। कथा के दौरान भगवान का जन्म होता है और पूरे वृंदावन में खुशियां मनाई जाती हैं। जो भी यहां सत्संग में वृंदावन रूपी खुशियां से झूमते हैं उनको श्री राधे सभी पीड़ा हर लेते हैं। भगवान श्री कृष्ण की लीला अपरंपार है। योगिराज समाधि बाबा कहते हैं कि भागवत कथा एक ऐसा दर्पण जहां पर अपने कर्म को झांक कर उनके ऊपर लगी गंदगी साफ हो जाती है। इसे सुनने से जीवन रूपी सभी सौंदर्यता निखर जाती है। हो मेरी विनती उमरिया सुनो, बुला लो वृंदावन मुझे गिरधारी और

डम-डम डमरू बजावे ला हमार जोगिया जैसे सुरीली और मधुर भक्ति गानों पर सत्संग पंडाल में श्रद्धालु खूब झूमे। श्री मद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथा दिन श्रोताओं की काफी भीड़ उमड़ पड़ी। आयोजक पूर्व मुखिया रामप्यारे कुमार, कृष्ण कुमार, महात्मा गांधी बीएड कालेज लखीसराय के डायरेक्टर मृत्युंजय कुमार, अमित कुमार, मानवाधिकार संरक्षण प्रतिष्ठान के महासचिव मधुकर झा, संजीव कुमार आदि ने खुशी जताते हुए कहा कि दिन प्रति दिन श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती ही जा रही है। श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के अवसर पर खीर का प्रसाद वितरण किया गया। इसे पाकर सभी श्रोता अत्यंत खुश और भावविभोर थे।

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