Bihar News: प्रभु श्रीराम के तिलकोत्सव की रस्म में मंगल गीतों से गुंजायमान हुआ जनकुपरधाम



जनकपुरधाम (नेपाल) संवाद सहयोगी। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम व जनक सुकुमारी माता जानकी के विवाह की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही, वैसे-वैसे उत्साह बढ़ रहा है। श्रद्धालु उत्सव में शामिल होने के लिए जनकपुरधाम पहुंचने लगे हैं। जनकपुरधाम में श्री सीताराम विवाह पंचमी महोत्सव के तहत शनिवार को तिलकोत्सव का आयोजन किया गया। तिलकोत्सव को लेकर सुबह से ही पूरे जनकपुर में उल्लास का माहौल दिख रहा था। श्रद्धालुओं की भीड़ जानकी मंदिर और राम मंदिर की ओर जाती दिख रही थी।

जानकी मंदिर से मंदिर के महंत रामतपेश्वर दास के नेतृत्व में साधु-संत तिलक का भार लेकर भगवान श्री राम के तिलक उत्सव के लिए जनकपुरधाम स्थित राम मंदिर पहुंचे और तिलक समारोह में शामिल हुए। भार में फल, विभिन्न प्रकार मिठाई और वस्त्र सहित अन्य सामग्री लेकर राम मंदिर पहुचे। इसमें 101 साधु संत, महंत, योगी, तपस्वी आदि शामिल हुए। राम मंदिर में जानकी मंदिर के महंत राम तपेश्वर दास, माता जानकी के पिता के रूप में जानकी की भूमिका निभाते हैं और राम मंदिर के महंत राम गिरि दशरथ की भूमिका निभाते हैं। तिलकोत्सव में दोनों मंदिरों के महंत ने समधी मिलन किया। तिलकोत्सव देखने के लिए बड़ी संख्या में तीर्थयात्री राम मंदिर क्षेत्र में पहुंचे हैं। तिलकोत्सव के मौके पर मंगल गीतों से पूरा राम मंदिर गुंजायमान हो रहा था। विवाह पंचमी महोत्सव के पांचवां दिन 27 नवंबर को मटकोर, 28 नवंबर को विवाह, 29 नवंबर को रामकलेवा के साथ श्री राम जानकी विवाह पंचमी महोत्सव का समापन होगा।
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सात दिवसीय महामहोत्सव के शुक्रवार को धनुष यज्ञ का आयोजन किया गया था। इसे देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। जैसे ही प्रभु श्रीराम ने भगवान शिव के धनुष को उठाया और उस पर प्रत्यंचा चढ़ाई कि धनुष तीन खंडों में टूट गया। धनुष टूटते ही प्रभु श्रीराम की जय-जयकार होने लगी। इसके बाद माता जानकी ने बीच दरबार में प्रभु श्रीराम के गले में वरमाला डाली। इस तरह राजा जनक की प्रतिज्ञा को पूरा कर प्रभु श्रीराम ने माता जानकी का वरण किया। इसके साथ दोनों के वैवाहिक रस्मों की तैयारी शुरू हो गई। धनुष यज्ञ के इस मनोहारी दृश्य को देखने के लिए भारत व नेपाल के लोग बड़ी संख्या में जनकपुर में जुटे रहे। जानकी मंदिर के उत्तराधिकारी महंत राम रोशन दास ने बताया कि भगवान श्रीराम के विवाह महामहोत्सव में धनुष भंग को लेकर पौराणिक मान्यता है कि मिथिला नरेश जनक ने अपनी पुत्री सीता की शक्ति को देखते हुए प्रतिज्ञा की थी कि जो शूरवीर शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देगा उसी से सीता का विवाह होगा। 

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